महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच 29 मार्च को हुई बैठक के बाद भी कुछ ऐसी सीटें हैं जिनपर सहमति नहीं बन पाई है।
गठबंधन में सीट आवंटन का काम लगभग पूरा हो चुका है। इसके बावजूद कई सीटों पर समाधान नहीं निकल पा रहा है। इसमें सांगली, भिनवाड़ी, साउथ सेंट्रल मुंबई जैसी कुछ जगहें शामिल हैं।
इस बीच अब तक कई बैठकों के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाने पर कांग्रेस बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। कांग्रेस का कहना है कि इन सीटों पर सौहार्दपूर्ण तरीके से दोस्ताना चुनाव लड़ा जाए।
कांग्रेस नेताओं की शुक्रवार को हुई ऑनलाइन बैठक में राज्य के सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। इसके अलावा, बैठक में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चन्नीथला भी शामिल हुए।
इस बैठक में अनसुलझे क्षेत्रों पर चर्चा हुई। MVA के घटक दलों में अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं।लेकिन अगर कोई समाधान नहीं निकलता है तो आइए इन सीटों पर सौहार्दपूर्ण ढंग से लड़ें, इस बैठक में कुछ नेताओं ने यह रुख रखा।
दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक की रिपोर्ट और दोस्ताना लड़ाई की मांग दिल्ली में आलाकमान को दी जाएगी।
मोर्चा की एक अहम बैठक होगी। इस बैठक में कांग्रेस की भूमिका तय होगी। इसलिए ये देखना अहम होगा कि कांग्रेस की इस भूमिका पर क्या फैसला लिया जाएगा।
ठाकरे की शिवसेना ने सांगली में चंद्रहार पटल की उम्मीदवारी की घोषणा की है। कांग्रेस का कहना है कि यह उम्मीदवारी उनसे चर्चा किए बगैर घोषित की गई है।
यही हाल भिवंडी का भी है। कांग्रेस और एनसीपी दोनों पार्टियां भिवंडी सीट के लिए जोर लगा रही हैं। यहां के स्थानीय नेताओं ने यह रुख अपनाया है कि अगर कांग्रेस को एक सीट दी गई तो हम अलग फैसला लेंगे।
इस बीच 3 अप्रैल को महाविकास अघाड़ी की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महा विकास अघाड़ी के तीनों घटक दलों के नेता शामिल होंगे।
तो इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वास्तव में क्या घोषणा की जाएगी? क्या महाविकास अघाड़ी में वंचित बहुजन अघाड़ी भी शामिल होगी? ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं।
कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा, भिवंडी और सांगली का मामला पार्टी हाईकमान को भेज दिया गया है। इन सीटों पर एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) मानने को तैयार नहीं हैं। हमने दोस्ताना चुनाव का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि पार्टी हाईकमान दोनों ही पार्टियों से बात करेगी।
कांग्रेस के प्रस्ताव को खारिज करते हुए संजय राउत ने कहा कि अगर यहां दोस्ताना लड़ाई होती है तो विरोधी दल को मौका मिल जाएगा। कांग्रेस एक मैच्योर पार्टी है इसलिए उसे इस तरह का फैसला नहीं लेना चाहिए।
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने सांगली के विधायक विश्वजीत कदम को दिल्ली जाकर पार्टी नेताओं से मिलने के लिए कहा था। उनको इसलिए भेजा गया था कि उद्धव सेना और शरद पवार की पार्टी के नेताओं को समझाया जाए।