12 घंटे तक चला अभियान, डाकुओं से छुड़ाए 23 पाकिस्तानी; समुद्र में कायम है भारतीय नेवी का जलवा…

एक और समुद्री डकैती को फेल करते हुए भारतीय नेवी ने समुद्र में अपला जलवा बरकरार रखा है।

भारतीय की नौसेना ने शुक्रवार को अरब सागर में हाइजैक किए गए ईरानी मछली पकड़ने वाले जहाज अल-कंबर 786 और उसके 23 सदस्यीय पाकिस्तानी चालक दल को सुरक्षित बचा लिया।

2 घंटे से अधिक लंबे चले ऑपरेशन के बाद समुद्री डाकू आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि नौसेना ने ‘‘बंधक’’ बनाए गए मछली पकड़ने वाले ईरानी पोत और उसके चालक दल के सदस्य के रूप में कार्यरत 23 पाकिस्तानी नागरिकों को समुद्री लुटेरों के खिलाफ 12 घंटे से अधिक चले अभियान के बाद छुड़ा लिया। 

नौसेना के प्रवक्ता की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार भारतीय नौसेना की विशेषज्ञ टीमें मछली पकड़ने वाले पोत की गहन जांच कर रही हैं ताकि मछली पकड़ने के काम को फिर से शुरू करने के लिए उसे सुरक्षित क्षेत्र में ले जाया जा सके।

भारतीय नौसेना ने शुक्रवार देर शाम कहा था कि वह अगवा किए गए मछली पकड़ने वाले पोत को बचाने के लिए एक अभियान में लगी है जिस पर कथित तौर पर नौ सशस्त्र समुद्री डाकू और उसके चालक दल सवार हो गए हैं।

नौसेना ने कहा कि जहाज को बृहस्पतिवार को रोक लिया गया। इसमें कहा गया, ‘‘आईएनएस सुमेधा ने शुक्रवार तड़के एफवी ‘अल कंबर’ को रोका और बाद में आईएनएस त्रिशूल भी इसमें शामिल हो गया…।’’

घटना के समय मछली पकड़ने वाला पोत सोकोट्रा से लगभग 90 समुद्री मील (एनएम) दक्षिण पश्चिम में था और ‘‘बताया गया है कि सशस्त्र समुद्री लुटेरे उस पर सवार थे।’’

भारतीय नौसेना के अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने पिछले शनिवार को कहा था कि हिंद महासागर को और अधिक सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए नौसेना बल ‘सकारात्मक कार्रवाई’ करेगा।

इसी के साथ उन्होंने नौसेना द्वारा गत 100 दिनों में समुद्री लुटेरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी उल्लेख किया। हाल ही में सोमालिया तट के पास एक अभियान में पकड़े गए 35 समुद्री लुटेरों को लेकर युद्धपोत आईएनएस कोलकाता शनिवार सुबह मुंबई पहुंचा।

उसने कहा कि यहां लाने के बाद इन समुद्री लुटेरों को मुंबई पुलिस को सौंप दिया गया। यह कार्रवाई ‘ऑपरेशन संकल्प’ के तहत की गई, जिसके तहत भारतीय नौसेना के जहाजों को अरब सागर और अदन की खाड़ी में तैनात किया गया है ताकि क्षेत्र से गुजरने वाले नाविकों और मालवाहक पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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