बिहार की सियासी फिजा में इन दिनों एक बाहुबली की शादी चर्चा के केंद्र में है।
दरअसल, ये शादी सामाजिक कम राजनीतिक कारणों से ज्यादा चर्चा में है। इसके जरिए लोकसभा चुनाव में नए राजनीतिक समीकरण गढ़ने की कोशिश की जा रही है।
खरमास होने के बावजूद हुई इस शादी में दूल्हा बने हैं 62 साल के बाहुबली और चर्चित गैंगस्टर अशोक महतो, जिन्होंने 16 साल छोटी उम्र की अनीता कुमारी से मंगलवार को बख्तियारपुर के पास करौटा के मां जगदंबा मंदिर में शादी की है।
कहा जा रहा है कि इस जोड़े ने शादी करने के बाद लालू-राबड़ी आवास में जाकर राजद अध्यक्ष का आशीर्वाद पाया। सियासी हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि 46 वर्षीय अनीता कुमारी अब महागठबंधन की उम्मीदवार के तौर पर मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं।
दावा किया जा रहा है कि लालू के कहने पर ही अशोक महतो ने आनन-फानन में दो दिनों के अंदर शादी की है।
दरअसल, अशोक महतो खुद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं क्योंकि वह सजायफ्ता रहे हैं और पिछले साल दिसंबर में ही वह 17 साल की जेल काटकर रिहा हुए हैं। कानून के मुताबिक जेल से रिहा होने के छह साल तक कोई सजायफ्ता चुनाव नहीं लड़ सकता है।
साधु जी के नाम से अब मशहूर अशोक महतो पर 2000 के दशक में नवादा के वारिसलीगंज इलाके में दर्जन भर हत्याकांड में शामिल होने के आरोप लगे थे।
इन हत्याकांडों में सबसे अहम है अपसढ़ नरसंहार। 11 मई, 200 की रात 11 बजे के करीब अपसढ़ के एक ही परिवार के 15 लोगों की तब हत्या कर दी गई थी, जब वे सभी छत पर सो रहे थे।
अचानक 50-60 की संख्या में आए लोगों ने 8 मिनट के अंदर करीब 300 राउंड से अधिक फायरिंग की थी। जो लोग गोलियों से बच गए थे, उन्हें उसे तलवार से काट दिया गया था।
यह कांड अशोक महतो और अपसढ़ के ही अखिलेश सिंह के बीच की रंजिश का नतीजा था। उनकी रंजिश नवादा, लखीसराय, शेखपुरा और जमुई समेत आसपास के जिलों से लेकर राजधानी पटना तक चर्चा में रही है।
फिलहाल करीब दो दशक से यह इलाका शांत है। अखिलेश सिंह की पत्नी अरुणा देवी फिलहाल वारिसलीगंज से भाजपा की विधायक हैं।
कुछ दिनों पहले हुए नीतीश मंत्रिमंडल में भूमिहार कोटे से उन्हें भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन उनके परिवार की आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण ऐन मौके पर उनका पत्ता कट गया लेकिन उनके दुश्मन नंबर वन रहे अशोक महतो का सिक्का चल गया।
जिस आपराधिक बैकग्राउंड और सरकार के अपराधीकरण के डर से नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी के लव-कुश समीकरण ने अरुणा सिंह को मंत्री बनने से रोक दिया, उसी डर को अब लालू यादव के महागठबंधन ने अवसर बना लिया है।
अशोक महतो कुर्मी समुदाय से आते हैं, लेकिन उन्हें कोईरी-कुशवाहा समाज का भी समर्थन हासिल है, जिनकी आबादी करीब 4.2 फीसदी है। यह यादव (14%) के बाद राज्य में दूसरी बड़ी आबादी वाली जाति है। लालू की नजर इसी दूसरे बड़े समुदाय और कोईरी-कुर्मी यानी लव-कुश समीकरण पर है।
चर्चा है कि इसी समीकरण को तोड़ने के लिए लालू मुंगेर से अशोक महतो की पत्नी को उतार सकते हैं। वहां से फिलहाल जेडीयू के ललन सिंह सांसद हैं। इसके अलावा नवादा संसदीय क्षेत्र से भी कुशवाहा समुदाय से आने वाले श्रवण कुशवाहा के नाम की भी चर्चा है।
दरअसल, राजद यादव, मुस्लिम और कुशवाहा (14+16+4 फीसदी) समुदाय के कुल 34 फीसदी वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है।
कुशवाहा समुदाय पर राजद के फोकस को ऐसे भी समझा जा सकता है कि पहली सूची में ही लालू ने दो कुशवाहा चेहरों को टिकट दिया है। औरगंबाद से अभय कुशवाहा और उजियारपुर से आलोक मेहता को उम्मीदवार बनाया गया है।