केजरीवाल ही नहीं, पूरी आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक्शन की तैयारी में ED; बहुत बड़ा आरोप…

दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 28 मार्च तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।

अब ईडी का अगला निशाना पूरी आम आदमी पार्टी हो सकती है।

दरअसल ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गठित विशेष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान इस बात का संकेत दिया है कि बाद में आम आदमी पार्टी (आप) को भी आरोपी बनाया जा सकता है।

ईडी ने शुक्रवार को दावा किया कि कथित शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी अपराध से अर्जित कमाई की ‘‘बड़ी लाभार्थी’’ रही।

इसने कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) कराए जाने के लिए अरविंद केजरीवाल ने स्वयं के दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर होने का फायदा उठाया।

ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने केजरीवाल की रिमांड सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि मुख्यमंत्री को “व्यक्तिगत और पारस्परिक दायित्व दोनों के कारण” गिरफ्तार किया गया है। अदालत में पहली बार, ईडी ने आरोप लगाया कि AAP ने “अरविंद केजरीवाल के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है…”

ईडी का आरोप है कि केजरीवाल (2022) में आप के गोवा चुनाव प्रचार अभियान में अपराध से अर्जित धन के इस्तेमाल में सीधे तौर पर शामिल थे।

वह पार्टी के संयोजक एवं उसमें निर्णय लेने वाले शीर्ष व्यक्ति हैं। एजेंसी ने अदालत को बताया कि इसने गोवा चुनावों के दौरान आप की चुनाव प्रचार गतिविधियों से जुड़े विभिन्न लोगों के बयान दर्ज किए और यह पाया गया कि सर्वे कर्मी, क्षेत्र प्रबंधक, विधानसभा प्रबंधक जैसे काम के लिए उन्हें नकद भुगतान किया गया था।

सूत्रों के हवाले से लिखा है कि ईडी AAP को भी आरोपी के तौर पर शामिल करने पर विचार कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह एक बड़ा घटनाक्रम होगा।

क्योंकि ईडी द्वारा जांच के तहत “कंपनी” की संपत्ति कुर्क या जब्त की जा सकती है। धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 70 कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित है।
 
पीएमएलए की धारा 70 में कहा गया है कि इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान या इसके तहत बनाए गए किसी नियम, निर्देश या आदेश का उल्लंघन करने वाला कोई व्यक्ति या एक कंपनी है, तो दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

इसमें कहा गया है कि अगर व्यक्ति उल्लंघन के समय उस कंपनी का प्रभारी था या कंपनी के साथ-साथ कंपनी के व्यवसाय के संचालन का जिम्मेदार था, तो दोनों को उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार दंडित किया जाएगा।

हालांकि एक राजनीतिक दल कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत शामिल एक “कंपनी” नहीं है, लेकिन प्रावधान में एक महत्वपूर्ण बात लिखी है जो एक राजनीतिक दल को धन-शोधन विरोधी कानून के दायरे में ला सकती है।

इसके तहत, एक “कंपनी” का अर्थ किसी भी कॉर्पोरेट निकाय से है और इसमें एक फर्म या व्यक्ति भी शामिल है।

ईडी ने करीब दो साल पुराने मामले में पहली बार कहा है कि आप दिल्ली आबकारी घोटाले में अपराध से अर्जित धन की बड़ी लाभार्थी थी।

इसने आरोप लगाया कि अपराध से अर्जित धन के एक हिस्से के रूप में प्राप्त हुए करीब 45 करोड़ रुपये का इस्तेमाल आप ने गोवा विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने में किया।

एजेंसी ने दावा किया कि यह रकम चार अंगड़िया प्रणाली के जरिये गोवा भेजी गई। अंगड़िया नेटवर्क एक स्थान से दूसरे स्थान पर भारी मात्रा में नकदी ले जाने का काम करता है।

ईडी ने कहा, ‘‘इस तरीके से आप ने अरविंद केजरीवाल के जरिये धन शोधन का अपराध किया और इसतरह अपराधों को पीएमएलए की धारा 70 के तहत माना गया है।’’

एजेंसी ने कहा है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में, केजरीवाल ‘‘चुनाव खर्चों में इस्तेमाल किए जाने वाले धन के लिए अंततः जिम्मेदार थे।’’

ईडी ने कहा कि उसने पिछले साल आप के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता का बयान दर्ज किया था, जिन्होंने एजेंसी को बताया था कि केजरीवाल पार्टी के समग्र प्रभारी हैं, लेकिन चुनाव खर्च तय करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी या राजनीतिक मामलों की समिति की कोई मंजूरी नहीं ली जाती है। इसने आरोप लगाया कि केजरीवाल आप की बड़ी गतिविधियों को संचालित करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap