एक दिन पहले ही पीएम मोदी ने की थी मनोहर लाल खट्टर की जमकर तारीफ, अगले दिन CM पद से हटे; हरियाणा में बीजेपी ने चौंकाया…

हरियाणा में एका-एक घटे राजनीतिक घटनाक्रम से जहां पूरा प्रदेश अवाक है तो वहीं दूसरी ओर मनोहर टीम को भी यह समझ नहीं आ रहा कि पार्टी हाईकमान ने अचानक यह क्या फैसला ले लिया।

हालांकि 2 महीने पहले संघ के कुछ नेताओं ने यह इशारा कर दिया था कि खट्टर करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे लेकिन जिस तरह मनोहर लाल खट्टर फील्ड में सक्रिय थे, उसे देखकर यह नहीं लगता था कि यह बात सच साबित होगी।

सोमवार को गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन सहित विभिन्न राज्यों में एक लाख करोड़ रुपए की विभिन्न विकास योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करने के उपरांत जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुग्राम में मनोहर लाल खट्टर की तारीफ के पुल बांध रहे थे और यहां तक खुलासा किया पुराने दिनों में वह दोनों बाइक पर एक साथ घूमते रहे हैं। लेकिन रात को ही भाजपा हाईकमान ने उन्हें बदलने का फैसला कर लिया और इस बात को खट्टर को अवगत भी करवा दिया गया था।

तारीफ के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि मनोहर लाल खट्टर की बजाय नायब सैनी मुख्यमंत्री बन गए। 

खट्टर की बाइक पर नापते थे हरियाणा
नरेंद्र मोदी ने अपनी पुरानी यादों का जिक्र करते हुए कहा था कि वे और मनोहर लाल खट्टर बहुत लंबे समय से साथ हैं और खुशी की बात है कि आज भी हम दोनों साथ हैं और आपका भविष्य भी साथ है।

उन्होंने संस्मरण सुनाया कि जब हरियाणा में वे आते थे तो मनोहर लाल खट्टर के पास मोटरसाइकिल थी और वह उनके पीछे बैठकर रोहतक से गुरुग्राम आते थे तो यहां आने के लिए उस समय छोटे-छोटे रास्ते हुआ करते थे।

आज पूरा गुरुग्राम क्षेत्र एक्सप्रेस-वे सहित कई बड़े नेशनल हाईवे से जुड़ चुका है, जो मुख्यमंत्री मनोहर लाल की विकास की सोच को दर्शाता है।

गुजरात की तर्ज पर हरियाणा में बिछाई राजनीतिक बिसात 
वहीं, भाजपा हाईकमान ने गुजरात की तर्ज पर राजनीतिक बिसात बिछाई है, जहां विधानसभा चुनाव से पहले पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया था और यहां लोकसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदल दिया गया।

फर्क इतना है कि वहां पूरा मंत्रिमंडल नया बनाया गया था, जबकि हरियाणा में खट्टर की जगह उनकी पंसद के नेता नायब सैनी को मुख्यमंत्री व मनोहर लाल सरकार में रहे मंत्रियों में ही पांच को मंत्री बना दिया गया।

विश्लेषकों का कहना है कि बस इस सियासी चौसर में बड़ी चाल के तौर पर जजपा को बाहर कर दिया गया है।

इस सियासी उठापटक में भाजपा जहां खुद को राजनीतिक तौर पर चार कदम आगे मानकर चल रही है, वहीं जजपा के लिए यह घटनाक्रम किसी बड़ी चुनौती से कम भी नहीं है। 

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