शाहजहां शेख को बंगाल पुलिस ने बचाने की कोशिश की, कलकत्ता हाईकोर्ट भड़का…

ED यानी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के मुख्य आरोपी माने जा रहे TMC यानी तृणमूल कांग्रेस के बाहुबली नेता शाहजहां शेख को CBI को नहीं सौंपा गया।

मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। खास बात है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे और शेख को CBI के हवाले करने के लिए कहा था।

अब उच्च न्यायालय ने बंगाल की पुलिस को लेकर तीखी टिप्पणी की है और कहा है कि पुलिस शेख को बचाने की कोशिश कर रही है। शेख और उसके सहयोगियों का नाम संदेशखाली में महिलाओं के उत्पीड़न और जमीन हड़पने की शिकायतों से भी जुड़ रहा है।

मंगलवार को हाईकोर्ट ने शेख को बचाने की कोशिश करने के लिए बंगाल पुलिस की जमकर आलोचना की। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरण्मय भट्टाचार्य की बेंच सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट का कहना है कि ED पर हुए हमले के मामले में बंगाल पुलिस को जांच आगे बढ़ाने से रोकने के स्पष्ट आदेश जारी किए गए थे। कोर्ट ने कहा कि इसके बाद भी FIR को स्थानीय CID को दे दिया गया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, फैसले में कहा गया, ‘राज्य की पुलिस का यह कदम मानने के लिए पर्याप्त होगा कि वह पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण हैं और 50 दिनों से ज्यादा समय तक फरार रहे आरोपी (शेख) को बचाने के लिए जांच में देरी की हर संभव कोशिश की जा रही है। तब फरार रहे आरोपी को क्षेत्र का ‘ताकतवर व्यक्ति’ बताया जा रहा था और उसके सत्तारूढ़ दल में मजबूत संबंध थे…।’

रिपोर्ट के अनुसार, आगे कहा गया, ‘राज्य की पुलिस ने आरोपी को बचाने कि लिए सभी संभावनाओं में लुका छुपी की रणनीति अपनाई थी, जो राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर था।’

आरोपी को लेकर कोर्ट ने कहा कि उसने यह दिखा दिया था कि वह इतना सक्षम है कि अगर उसे राज्य की पुलिस के साथ रखा गया, तो वह जांच को प्रभावित कर सकता है।

हाईकोर्ट ने उन आरोपों की जांच के लिए शेख को सीबीआई को सौंपने के लिए कहा था कि उसने और उसके सहयोगियों ने रेड के लिए पहुंचे ईडी अधिकारियों पर हमला किया था। ईडी करोड़ों रुपये के राशन घोटाला मामले में जांच कर रही थी।

इस दौरान अदालत ने स्थानीय पुलिस की तरफ से दर्ज की गई FIR पर भी सवाल उठाए। रिपोर्ट के अनुसार, अदालत का कहना था कि IPC के कई प्रावधानों को शेख से जुड़े लोगों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया गया था।

कोर्ट ने कहा, ‘यह समझ से परे है कि पहले से तैयार प्लान के बगैर एक हजार से ज्यादा या तीन हजार लोग… ईडी और सीआरपीएफ के अधिकारियों पर हमला करने के लिए उस इलाके में हथियारों के साथ कैस जुट सकते थे।’

इस दौरान कोर्ट ने ईडी की बात को भी माना उनके अधिकारियों पर हुए हमले के मामले को बंगाल पुलिस ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी।

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