मणिपुर विधानसभा ने सोमवार को एक कानून पारित किया, जिसके तहत स्थानों का नाम बदलने पर तीन साल तक की जेल की सजा और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष के बीत यह विधेयक सोमवार को विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी इस सिलसिले में एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मणिपुर राज्य सरकार हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत और पूर्वजों द्वारा दी गई विरासत की रक्षा के लिए गंभीर है।”
मुख्यमंत्री सिंह ने कहा, “हम सहमति के बिना स्थानों के नाम बदलने और दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस गुनाह के तहत दोषियों को सख्त कानूनी सजा दी जाएगी।”
उल्लेखनीय है कि विधेयक को शुक्रवार को पेश किया गया था। विधेयक में कहा गया है कि कुछ व्यक्तियों, समूहों या संगठनों द्वारा दुर्भावनापूर्ण इरादे से स्थानों के नाम बदले जा रहे हैं।
ऐसी स्थिति में प्रशासन में भ्रम पैदा होने और सामाजिक सद्भाव खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
विधेयक में कहा गया है कि स्थानों नामों के ये परिवर्तन सरकारी अधिकारियों के लिए अपने कर्तव्यों के निर्वहन के समय प्रशासनिक चुनौतियां पैदा करते हैं।
विधेयक के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा सात सदस्यीय समिति नियुक्त की जाएगी, जो सरकार को स्थानों के नाम बदलने सुझाव देने के लिए अधिकृत होगी।
मणिपुर में पिछले साल मई से इंफाल घाटी में प्रभावी मैतेई और कुछ पहाड़ी इलाकों में बहुमत वाले आदिवासी कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पें हो रही हैं। सरकार के मुताबिक, हिंसा में अब तक 221 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं।
संघर्ष के शुरुआती दिनों के दौरान, इंफाल में रहने वाले कुकी लोग पहाड़ियों की ओर भाग गए, जबकि कुकी प्रभुत्व वाले जिलों में रहने वाले मैतेई लोग इंफाल घाटी में भाग गए।
दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे पर उनके द्वारा खाली किए गए मकानों और संपत्तियों पर कब्जा करने का आरोप लगाया गया है।