हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कहीं कांग्रेस के लिए महंगा न पड़ जाए।
इसकी आशंका इसलिए और भी गहरी हो गई है, क्योंकि कांग्रेस विधायकों में सीएम सुक्खू को लेकर नाराजगी की बातें सामने आ रही हैं।
दूसरी तरफ ऐसी भी खबरें आ रही हैं हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बुधवार को राज्यपाल मुलाकात कर सकते हैं। इन सबके बीच यह सवाल उठने लगा है कि कहीं सुक्खू का हाल भी महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे जैसा न हो जाए।
बता दें कि 2022 में राज्यसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन गिर गई थी। तब भी राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई थी।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के जाने-माने चेहरे अभिषेक मनु सिंघवी को हराया। इससे जाहिर तौर पर विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के लिए मंच तैयार हो गया।
आगे का रास्ता भी कठिन
यह हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है जिसके पास 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 विधायक हैं। राज्य में भाजपा के 25 विधायक हैं और तीन विधायक निर्दलीय हैं।
राज्यसभा सीट का नतीजा औपचारिक रूप से घोषित होने से पहले ही भाजपा द्वारा सुखविंदर सिंह सुक्खू की 14 महीने पुरानी सरकारी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा तेज हो गई थी।
कांग्रेस उम्मीदवार की हार से सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार की परेशानी बढ़ने की संभावना है क्योंकि 29 फरवरी को राज्य विधानसभा में 2024-25 का वार्षिक बजट पारित होना है और सदन में बहुमत साबित करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
पार्टी के अंदर नाराजगी
उधर पार्टी में भी सुक्खू के खिलाफ माहौल बन बना रहा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की टिप्पणी ने क्रॉस वोटिंग की अटकलों को हवा दी।
इसमें उन्होंने कहा कि कई विधायक नाखुश हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता राजिंदर राणा को सुक्खू मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए था।
बताया जाता है कि हार के बाद भी विधायकों की नाराजगी कम नहीं हो रही है। उधर विपक्ष ने भी अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रखी है। सिंघवी की हार के बाद राज्य में विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर और भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की।
खरगे ने कहा चुनाव को देंगे चुनौती
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस बीच कहा कि वे हिमाचल प्रदेश में हुए चुनाव को चुनौती देंगे क्योंकि दोनों उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले और फैसला लॉटरी के आधार पर लिया गया।
खरगे ने एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहाकि अगर कोई दल चुनी हुई सरकार को तोड़ता है तो यह कौन सा लोकतंत्र है। ऐसा पहले कर्नाटक, मणिपुर, गोवा में हो चुका है।
जब वे निर्वाचित नहीं होते हैं तो वे इस तरह के उपाय करते हैं और डराने के साथ सरकार को तोड़ देते हैं। क्या यह लोकतंत्र है? उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के साथ हिमाचल प्रदेश उन तीन राज्यों में से एक था जहां कड़ी प्रतिस्पर्धा की उम्मीद थी।