रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक और विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी की जेल में मौत हो गई। नवलनी काफी समय से जेल में बंद थे और अपनी सजा काट रहे थे। वे यमालो-नेनेट्स क्षेत्र की जेल में मृत पाए गए।
नवलनी को साल 2020 में जहर देकर मारने की भी कोशिश की जा चुकी थी। नवलनी की मौत के बाद जारी बयान में बताया गया, ”टहलने के बाद नवलनी को अजीब महसूस हुआ, जिसके बाद वह लगभग तुरंत ही बेहोश हो गए।”
बयान में आगे कहा गया कि इसके बाद मेडिकल स्टाफ तुरंत पहुंचा और एक एम्बुलेंस टीम को बुलाया गया। उन्हें बचाने के पूरे उपाय किए गए, जिसके पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिले। पैरामेडिक्स ने दोषी की मौत की पुष्टि की है।
मौत के कारणों की जांच की जा रही है। इससे पहले दिसंबर में, एलेक्सी नवलनी को मॉस्को से 1,900 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में उत्तरी शहर खारप में आईके-3 दंड कॉलोनी (पोलर वुल्फ) में ले जाया गया था।
यह जेल रूस की सबसे कठिन जेलों में से एक मानी जाती है, जहां बंद अधिकांश बंदियों को गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है।
नवलनी की मौत को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए क्रेमलिन ने कहा है कि उन्हें एलेक्सी नवलनी की मौत के कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं है, हालांकि जेल सेवा सभी संभव जांच कर रही है।
47 वर्षीय नवलनी पुतिन के कट्टर आलोचक माने जाते थे। उनके राजनीतिक करियर में सबसे बड़ा बदलाव 2013 में आया था, जब उन्होंने मॉस्को मेयर पद के चुनाव में 27 फीसदी वोट हासिल कर लिए।
इस चुनाव को लेकर लोगों का मानना था कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से करवाए गए थे। इसी दौरान नवलनी रूसी सरकार की आंखों में और चुभने लगे और उनकी पहचान पुतिन के कट्टर आलोचक की तरह होने लगी।
जहर देकर मारने की हुई थी कोशिश
साल 2020 में नवलनी को जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। इससे देश-दुनिया में काफी आक्रोश फैल गया था और रूस में राजनीतिक असंतोष को लेकर चिंता बढ़ गई।
यह घटना 20 अगस्त, 2020 को हुई, जब साइबेरिया से मॉस्को की उड़ान के दौरान नवलनी बीमार पड़ गए। नवलनी की टीम को तुरंत गड़बड़ी का संदेह हुआ।
इसके बाद जब जांच की गई तो शुरुआती रिपोर्टों से पता चला कि नवलनी को नर्व एजेंट से जहर दिया गया। इस संदेह की बाद में जर्मनी, फ्रांस और स्वीडन की स्वतंत्र प्रयोगशालाओं ने पुष्टि भी हुई।
नवलनी को जहर देने की तुलना 2018 में यूनाइटेड किंगडम में पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी को जहर देने से की गई। तब बर्लिन के चैरिटे अस्पताल में ले जाने से पहले नवलनी का शुरुआत में साइबेरिया में इलाज किया गया था, जिससे उनकी जान बच गई थी।