चांद पर अब अकेला नहीं रहेगा हमारा चंद्रयान-3, नासा धरती से भेज रहा ‘दोस्त’; ये है पूरा प्लान…

चांद पर विराजमान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संठगन (ISRO) के चंद्रयान-3 से जुड़ी अच्छी खबर आई है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने नोवा-सी लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लॉन्च करने की तैयारी में है। इसका लैंडिंग टारगेट उस क्षेत्र से ज्यादा दूर नहीं है जहां पहुंचकर चंद्रयान-3 ने इतिहास रचा था।

इस तरह जल्द ही चंद्रयान को चांद पर नया दोस्त मिलने वाला है। इस मिशन को IM-1 नाम दिया गया है। यह चंद्र सतह के अज्ञात हिस्से पर पेलोड पहुंचाने के लिए तैयार है, जिसकी मालापर्ट ए क्रेटर शॉफ्ट लैंडिंग होनी है। नासा के साथ ही इस अहम मिशन पर दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिकों की नजर टिकी हुई है। 

नासा के इस मिशन का महत्व इसके डेस्टिनेशन से ही जुड़ा है। दरअसल, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव ने वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष उत्साही लोगों को काफी आकर्षित किया है। NASA की ओर से लैंडिंग साइट मालापर्ट-ए चुनी गई है जो कि बड़े मालापर्ट क्रेटर के निकट सैटेलाइट क्रेटर है।

यह इलाका 69 किलोमीटर तक फैला हुआ है। जानना दिलचस्प है कि इस क्षेत्र का नाम चार्ल्स मैलापर्ट के नाम पर पड़ा है, जो खगोल विज्ञान के इतिहास में बड़ी शख्सियत हैं।

मालापर्ट-ए अपोलो 16 लैंडिंग साइट पर पाए जाने वाले लूनर हाईलैंड मैटेरियल से बना है।

साउथ पोल से करीब 300 किमी दूर पहुंचने का टारेगट  
नोवा-सी लैंडर चांद के साउथ पोल से करीब 300 किलोमीटर दूर वाले प्वाइंट पर पहुंचने को तैयार है। मालापर्ट मासिफ से यहां की निकटता इस क्षेत्र की प्रमुख विशेषता है।

नासा के आर्टेमिस III मिशन के लिए 13 जगहों पर विचार किया जा रहा है जिनमें से मैलापर्ट-ए भी एक है। नोवा-C लैंडर के लिए इस साइट का चयन और भी कुछ खास बातों को दर्शाता है, जैसे कि चंद्रमा के ध्रुवीय संसाधनों की खोज करना।

साथ ही संभावित तौर पर जल या बर्फ की खोज पर भी नजर होगी। यह मिशन इसलिए और ज्यादा खास हो जाता है कि इससे आगे के दूसरे मिशनों को काफी आसानी होगी। यहां से मिली जानकारियां आगे के लिए काफी काम आएंगी। 

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