प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
सकट चौथ व्रत 29 जनवरी, सोमवार को है। यह व्रत संतान की लंबी आयु और खुशहाली की कामना के लिए रखा जाता है।
सकट चौथ व्रत हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है।
सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट चौथ और माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने संतान की लंबी आयु व सुख-समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखती हैं।
भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत संपूर्ण होता है।
मान्यता है कि सकट चौथ व्रत के दौरान मांगी गई मन की मुराद पूरी होती है। हालांकि सकट चौथ व्रत में कुछ नियमों का पालन भी जरूरी होता है।
आइए जानते हैं सकट चौथ व्रत के नियम-
1. काला वस्त्र न पहनें– हिंदू धर्म में काला रंग अशुभता का प्रतीक है। इसलिए किसी मांगलिक या शुभ कार्य के दौरान काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। ऐसे में सकट चौथ व्रत में महिलाएं काले रंग के वस्त्र धारण न करें। इस व्रत में लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
2. चंद्रदेव को अर्घ्य देते हुए इन बातों का रखें ध्यान– सकट चौथ व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा करने के बाद शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। हालांकि अर्घ्य देते समय इस बात का ध्यान रखें कि अर्घ्य के दौरान आपके पैरों में जल के छींटे न पड़ें।
3. सकट चौथ व्रत में इस चीज को न करें शामिल– भगवान गणेश की पूजा में कभी भी तुलसी की पत्ती शामिल नहीं करनी चाहिए। भगवान श्रीगणेश को दूर्वा अतिप्रिय है। इसलिए सकट चौथ पूजन में दूर्वा घास जरूर शामिल करें।
4. चांद को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत होता है संपूर्ण- सकट चौथ व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा माना जाता है। बिना चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित किए सकट चौथ का व्रत पूरा नहीं माना जाता है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)