मकर संक्रांति देश में 14 या 15 जनवरी कब मनाई जा रही है, जानिए वजह और महत्व…

वीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपनी चाल बदलते हैं और धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं।

इसे ही मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव (Surya Dev) की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी कहा जाता है।

इस साल मकर संक्रांति के दिन रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। मकर संक्रांति के दिन ही खरमास की समाप्ति होती है और सभी शुभ और मांगलिक कार्य एक बार फिर शुरू हो जाते हैं।

इस चलते विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि के शुभ मुहूर्त भी मकर संक्रांति से शुरू हो जाते हैं। उत्तर भारत में इस पर्व की अनूठी धूम देखने को मिलती है।

वहीं, बिहार में इसे तिला संक्रांत के रूप में जानते हैं तो दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है। कई राज्यों में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है तो बहुत से लोग इसे खिचड़ी कहकर पुकारते हैं और धान की कटाई के बाद घर में खिचड़ी बनाकर इस पर्व को मनाया जाता है।

जानिए इस साल मकर संक्रांति किस दिन मनाई जाएगी और इसका धार्मिक महत्व क्या है। 

पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी की अर्धरात्रि 2 बजकर 42 मिनट पर प्रवेश करेंगे। ऐसे में उदया तिथि के चलते मकर संक्रांति 15 जनवरी के दिन पड़ रही है। 

मकर संक्रांति क्यों है इस साल खास 

इस साल मकर संक्रांति के दिन 77 सालों बाद रवि योग (Ravi Yog) के साथ वरियान योग बन रहा है।

इसके अलावा, 5 सालों के बाद मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ेगी। इन योगों को अत्यधिक शुभ माना जाता है और माना जाता है कि इन योगों के चलते मकर संक्रांति के दिन सूर्य को अर्घ्य देना अत्यधिक लाभकारी और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला साबित होगा। 

पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 15 जनवरी के दिन रवि योग के साथ ही शतभिषा नक्षत्र में भी मनाई जाएगी। 

मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं 

धार्मिक मान्यतानुसार मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। जिनके घर के पास पवित्र नदी होती है वे नदी में स्नान करते हैं।

स्नान के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। इस दिन घरों में खिचड़ी पकाई जाती है और पतंग उड़ाकर इस पर्व को मनाया जाता है। इस दिन दान-पुण्य का काम भी अच्छा माना जाता है। 

 (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। वार्ता 24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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