1990 के दशक की शुरुआत में जोरदार राम मंदिर आंदोलन हुआ था।
इस दौरान कार सेवा करते हुए जान गंवाने वालों को कैनवास पर जीवंत किया जा रहा है। इस काम में लखनऊ के कलाकार शामिल हैं और पेंटिंग बनाने के लिए ऑयल पेंट का इस्तेमाल हो रहा है।
बताया जा रहा है कि यह काम अंतिम चरण में है। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट इन पेंटिंग्स को रामलला के प्रांगण में स्थापित करने पर विचार कर रहा है।
हालांकि, अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग भी 1949 से लेकर 1990 और उसके बाद तक राम मंदिर के लिए लड़ते हुए मारे गए, उन सभी की पेंटिंग राम मंदिर परिसर में लगाने का विचार है।
मालूम हो कि कारसेवकपुरम अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यह वो क्षेत्र है जहां राम मंदिर आंदोलन के दौरान स्वयंसेवकों ने गिरफ्तारी और पुलिस गोलीबारी से बचने के लिए शरण ली थी।
उस समय यह अमरूद के पेड़ों से घिरा उजाड़ इलाका हुआ करता था। यहां पर पहले बंदर बड़ी संख्या में रहा करते थे और पुलिस की नियमित गश्त भी नहीं होती थी।
आज इसे कारसेवकपुरम के नाम से जाना जाता है। इसकी पहचान अयोध्या में विहिप के मुख्यालय के तौर पर भी है। इस परिसर में विहिप कार्यालय, गेस्ट हाउस, स्कूल, गौशाला और सीता रसोई नाम का डाइनिंग हॉल स्थित है।
कारसेवकपुरम को रामायण आधारित वस्तुओं से सजाया
प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कारसेवकपुरम को महाकाव्य रामायण पर आधारित सजावटी वस्तुओं से सजाया गया है। मंदिर ट्रस्ट ने सभी मेहमानों के स्वागत और सम्मान की व्यवस्था की है।
उन्हें उपहार भेंट किया जाएगा जिसमें ‘राम राज’ भी शामिल है। तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मेहमानों को प्रसाद के रूप में देसी घी से बने विशेष ‘मोतीचूर के लड्डू’ वितरित करेगा।
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह है। इससे पहले नेपाल के जनकपुर में कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के साथ उत्सव मनाया जाएगा। जनकपुर को भगवान राम की पत्नी सीता का जन्मस्थान माना जाता है।