फिलिस्तीन के गाजा शहर पर इजरायली हमलों की अब दुनियाभर में निंदा होने लगी है। इन हमलों में हजारों लोग मारे गए हैं। कई देश इसे ‘गाजा नरसंहार’ का नाम दे रहे हैं।
दक्षिण अफ्रीका ने इसके लिए इजरायल के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में ऐतिसाहिक मामला दायर किया है। अब दक्षिण अफ्रीका को इस केस को लड़ने के लिए कई बड़े देशों का साथ मिल रहा है।
कोलंबिया और ब्राजील के विदेश मंत्रालयों ने अलग-अलग बयानों में घोषणा करते हुए कहा है कि उनकी सरकारें गाजा में चल रहे नरसंहार पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में इजरायल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के ऐतिहासिक मुकदमे का समर्थन करती हैं।
इस लिस्ट में ये दोनों दक्षिण अमेरिकी देश नए हैं। इससे पहले कई अरब देश पहले ही दक्षिण अफ्रीका के प्रति अपना समर्थन जता चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीका ने विश्व अदालत में मुकदमा दायर करते हुए कहा है कि ‘इजरायल ने जिनेवा कन्वेंशन के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है। जिनेवा कन्वेंशन देशों को ऐसे सभी कृत्यों को रोकने के लिए बाध्य करता है।’
कोलंबिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “दक्षिण अफ्रीका का मुकदमा सही दिशा में एक साहसी कदम है।” कोलंबिया की गुस्तावो पेट्रो की सरकार ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि “विश्व न्यायालय दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर मुकदमें की तत्काल सुनवाई करेगा और जो अनुरोध किया गया है उस पर बिना किसी देरी के फैसला सुनाएगा।”
इसने कहा कि फैसले को जल्द अपनाया जाए ताकि कब्जे वाले क्षेत्रों में खून-खराबा बंद हो। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने बयान में कहा, “इजरायल ने गाजा पर अपनी घेराबंदी और तेज कर दी है। यह बहुत स्पष्ट है कि इजरायल सरकार द्वारा अपनाई गई कार्रवाइयां और तरीके नरसंहार के कृत्य हैं।”
इजरायल के खिलाफ उतरा ब्राजील
राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा और ब्राजील में फिलिस्तीनी राजदूत इब्राहिम अलजेबेन के बीच हुई बैठक के बाद ब्राजील के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में ब्राजीलियाई सरकार के समर्थन की घोषणा की।
ब्राजील ने कहा है कि वह भी इजरायल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के मुकदमे का समर्थन करता है। बयान में कहा गया है, “अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के घोर उल्लंघनों को देखते हुए, राष्ट्रपति ने दक्षिण अफ्रीका की पहल के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है।
इसमें अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से यह निर्धारित करने के लिए कहा गया है कि इजरायल उन सभी कृत्यों और तरीकों को तुरंत बंद कर दे जो नरसंहार या संबंधित अपराध हो सकते हैं।”
अरब लीग भी समर्थन में कूदा
इसके अलावा, अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घीत ने भी उसी दिन घोषणा कर दी थी कि “नरसंहार करने के आरोप में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष इजरायल के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका द्वारा दायर मुकदमे का पूरी तरह से समर्थन करना अरब लीग के लिए स्वाभाविक और तार्किक है।
हम एक ऐसे न्यायसंगत और साहसिक फैसले की उम्मीद करते हैं जो इस युद्ध को रोके और फिलिस्तीनी खून-खराबे को समाप्त कर दे।”
क्या है दक्षिण अफ्रीका का केस
दक्षिण अफ्रीका ने पिछले साल 29 दिसंबर को 84 पन्नों का एक आवेदन जमा किया है। यह आवेदन चारो ओर से घिरी गाजा पट्टी पर हो रही इजरायली बमबारी के 84वां दिन जमा किया गया था।
दस्तावेज में, दक्षिण अफ्रीका ने 1948 के जिनेवा कन्वेंशन का जिक्र करते हुए सभी देशों से “नरसंहार को रोकने के लिए अपनी शक्ति के भीतर सभी उचित उपाय” करने के दायित्व पर जोर दिया है। दक्षिण अफ्रीका ने न्यायालय से कहा कि इजरायल ने अपने इस दायित्व का उल्लंघन किया है।
नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर कन्वेंशन के अनुच्छेद II का हवाला देते हुए, तर्क दिया गया है कि “इजरायल द्वारा किए गए कार्य नरसंहार हैं क्योंकि उनका उद्देश्य फिलिस्तीनी नागरिकों के नस्लीय, और जातीय समूह के एक बड़े हिस्से का विनाश करना है।” द
क्षिण अफ्रीका 11 जनवरी को ICJ के 15 जजों के सामने अपनी दलीलें पेश करेगा।