चीनी सेना में करप्शन की खबरों के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सख्त तेवर अपना रखे हैं।
वह सेना में किसी को भी बख्श नहीं रहे हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति ने चाइना रॉकेट फोर्स और नेशनल लेजिस्लेटिव बॉडी से कई वरिष्ठ सैन्य अफसरों को हटा दिया है।
उनके इन कदमों से माना जा रहा है कि वह चीन की सेना में सुधार के लिए कोई भी कदम उठाने से चूकने वाले नहीं हैं। जिनपिंग के इस ऐक्शन से चीन की सेना में रॉकेट फोर्स पर काफी बड़ा असर पड़ रहा है।
बता दें कि चीनी सैन्य अफसरों पर यह कार्रवाई क्यों हो रही है, इसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दी जा रही है।
निशाने पर चीनी सेना
बता दें कि साल 2012 में सत्ता में आने के बाद से ही जिनपिंग ने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की ठान रखी है। इसके तहत कम्यूनिस्ट पार्टी और सरकारी कर्मचारी तो निशाने पर हैं ही।
लेकिन सबसे ज्यादा चीनी सेना को निशाने पर लिया गया है। बता दें कि बीते साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री ली शांगफू को भी हटाया जा चुका है।
काफी समय तक उनकी लोकेशन भी स्पष्ट नहीं रही थी। बाद में कई महीनों तक यह पद खाली रहने के बाद आखिर डांग जुन को नया रक्षा मंत्री बनाया गया।
सेना के विभिन्न डिवीजंस ने से लोगों को हटाया गया है। इनमें पीएलए रॉकेट फोर्स के पूर्व कमांडर, एक एयरफोर्स चीफ, एक नेवी अफसर समेत चार अन्य अधिकारियों पर भी ऐक्शन हुआ है।
ऐक्शन की जड़ में अमेरिकी आरोप?
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चीन की मिसाइल क्षमता पर सवाल उठाया है। इसके मुताबिक उसने चीनी सेना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
इन आरोपों में कहा गया है कि उच्च पदों पर तैनात कई अधिकारी पीएलए में भ्रष्टाचार फैला रहे हैं। इसमें चीन की रॉकेट फोर्स में सबसे ज्यादा करप्शन की बात कही गई है। हाल के वर्षों में चीन ने यहां पर पर सबसे ज्यादा निवेश किया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की मिसाइलों में तेल की जगह पानी भरा हुआ है। इसके अलावा इन्हें बनाने में भी डिफेक्टिव सामानों के इस्तेमाल की बात कही गई है।
ऐसी रिपोर्ट आने के बाद अमेरिका को लग रहा है कि चीनी राष्ट्रपति अपनी सेना को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं हैं।
चीनी राष्ट्रपति की बढ़ी चिंता
उधर अमेरिका में ऐसी खबरें आम होने के बाद चीनी राष्ट्रपति की चिंता बढ़ गई है। असल में जिनपिंग ने हालिया वर्षों में अपने सेना के अत्याधुनिकीकरण पर काफी खर्च किया है।
वह अपनी सेना को 2050 तक वर्ल्ड क्लास बनाना चाहते हैं। बजट में इतना ज्यादा इजाफा करने के बावजूद जिस तरह से सैन्य सामानों की गुणवत्ता में गिरावट आई है, उसने जिनपिंग के प्रयासों पर पानी फेर दिया है।
गौरतलब है कि ताइवान और दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन का अमेरिका से काफी तगड़ा मुकाबला है। ऐसे में आने वाले वक्त में अगर चीनी राष्ट्रपति सेना के कुछ और अधिकारियों का हटा दें तो इस पर किसी को ताज्जुब नहीं होना चाहिए।