दो राज्यों दिल्ली और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन को लेकर सियासी माहौल गरमा गया है।
दिल्ली एवं झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने समन को गैरकानूनी बताते हुए ईडी के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया है। वहीं भाजपा ने कहा कि उन्हें गिरफ्तारी का भय सता रहा है।
दोनों राज्यों में विपक्षी दल ईडी की कार्रवाई को राजनीतिक साबित करने में जुटे हुए हैं ताकि जनता की सहानुभूति हासिल की जा सके।
बुधवार को इस मामले में जिस प्रकार दिल्ली और झारखंड की सरकारों एवं सत्तारुढ़ दलों के नेताओं की तरफ से प्रतिक्रिया हुई, उससे यह स्पष्ट हो गया है कि वह ईडी की संभावित कार्रवाई के राजनीतिक क्षति और उसकी भरपाई की क्षति की तैयारियों में जुट गए हैं। इ
सलिए ईडी के अगले कदम से पहले इन दो राज्यों में कुछ अहम राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल सकता है।
शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल बुधवार को भी ईडी दफ्तर नहीं पहुंचे और उन्होंने ईडी को अपनी व्यवस्ता को लेकर पत्र लिखा जबकि उनकी पार्टी ने बचाव में मोर्चा संभालते हुए आरोप लगाया कि ईडी केजरीवाल को लोकसभा चुनावों में प्रचार से रोकना चाहती है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी की साजिश रची जा रही है।
नोटिस के जवाब में ईडी को भेजे पत्र में केजरीवाल ने लिखा है कि दिल्ली में राज्यसभा का चुनाव है और इसके बाद गणतंत्र दिवस के कई कार्यक्रमों में वह व्यस्त हैं। आप नेताओं ने दिनभर प्रेस वार्ता कर इस मामले पर ईडी को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
क्यों बार-बार भेजा जा रहा समन
आप के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक ने कहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव प्रचार से दूर रखने के लिए अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना चाहती है। दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अरविंद केजरीवाल मामले में न आरोपी हैं और न गवाह हैं, फिर क्यों बार-बार समन भेजा रहा है, इसका जवाब ईडी नहीं दे रही।
क्या ईडी ही भाजपा है या भाजपा ही ईडी है? दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि ईडी का केजरीवाल को समन पूरी तरह गैरकानूनी और राजनीति से प्रेरित, ये उन्हें लोकसभा चुनावों में प्रचार करने से रोकने की कोशिश है।
भाजपा लोकसभा चुनावों से पहले ईडी-सीबीआई का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को जेल भेजना चाहती है ताकि इंडिया अलायंस सफल न हो।
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चुनाव के समय ईडी द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन भेजना एक राजनीतिक षड्यंत्र की ओर इशारा करता है।
बार-बार पूछने के बावजूद भी ईडी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि अरविंद केजरीवाल को गवाह के तौर पर बुलाया जा रहा है या आरोपी के तौर पर।
सोरेन ने भी ईडी को लिखा पत्र
ईडी के खिलाफ जो रणनीति दिल्ली सरकार ने अपनाई है, करीब-करीब वैसा ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी किया है। उन्होंने भी ईडी के नोटिस का जवाब पत्र से देते हुए उसे गैरकानूनी बताया है। उन्होंने लिखा है कि उनके मामले में एजेंसी मीडिया ट्रायल चला रही है।
समन मिलने के पहले इसकी खबर मीडिया को दे दी जाती है। पत्र में सीएम ने लिखा है कि समन के जरिए उनकी राजनीतिक छवि खराब की जा रही है। साथ ही राज्य को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है। सीएम ने एजेंसी के सामने उपस्थिति से भी इनकार किया है।
हथियार के रूप में इस्तेमाल हो रहीं एजेंसियां
झारखंड में सत्तारुढ़ सहयोगी दल कांग्रेस ने भी इस मामले में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि जहां-जहां दूसरे दलों की सरकारें हैं वहां केंद्रीय एजेंसियों को हथियार के रूप में केंद्र की भाजपा सरकार इस्तेमाल करती है।
जो झुक गए उन्हें अपने साथ ले लिया। वे गंगा जल से पवित्र हो गए। वहीं जो नहीं झुके उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है। झारखंड-दिल्ली में ऐसा ही किया जा रहा है।
झारखंड की जनता ने पांच साल के लिए बहुमत दिया है सरकार चलेगी। कांग्रेस झामुमो के साथ है।