युद्धग्रस्त गाजा पट्टी में इजरायली सेना ने कुछ दिनों से हमले तेज कर दिए हैं।
दो दिनों के भीतर इजरायली हवाई हमलों में 100 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस पर संयुक्त राष्ट्र ने एक बार फिर चिंता जाहिर की है।
यूएन के बयान पर इजरायल तिलमिला गया है। उसने चेतावनी दी है कि हमास के साथ उसका युद्ध महीनों तक चलेगा।
इजराइल के सैन्य प्रमुख हर्जी हवेली ने एक टेलीविजन बयान में इस बात का खुलासा कर दिया कि गाजा की जंग कब तक चलेगी। उन्होंने कहा कि हमास को खत्म करने का कोई शॉर्टकट नहीं है, युद्ध “कई और महीनों तक जारी रहेगा”।
इजरायल से सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हर्जी हलेवी ने कहा, “आतंकवादी संगठन हमास को खत्म करने के लिए कोई जादुई समाधान नहीं है, कोई शॉर्टकट नहीं है, केवल दृढ़ संकल्प और लगातार लड़ाई है। हम हमास के नेतृत्व तक भी पहुंचेंगे, चाहे इसमें एक सप्ताह लगे या महीनों लग जाएं।”
UN ने क्या कहा था
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र ने कल रात लगातार इजरायली हवाई हमलों पर चिंता व्यक्त की और एक निवर्तमान डच मंत्री को गाजा के लिए अपना मानवीय समन्वयक नामित किया।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “हम इजरायली बलों द्वारा गाजा पर जारी बमबारी के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं।
इसमें कथित तौर पर क्रिसमस की पूर्व संध्या के बाद से 100 से अधिक फिलीस्तीनियों की जान चली गई है। इजरायली बलों को नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी उपलब्ध उपाय करने चाहिए।”
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के हवाले से कहा, “हमास को नष्ट किया जाना चाहिए, गाजा को हमास से आजाद करना जरूरी है और फिलिस्तीनी समाज को कट्टरपंथ से मुक्त किया जाना चाहिए।”
गौरतलब है कि हमास द्वारा इजरायली सीमा के अंदर 7 अक्टूबर को किए हवाई और जमीनी हमले में 1200 लोगों को मौत के घाट उतारे के बाद से इजरायल बदले की आग में जल रहा है।
हमास ने उस हमले में 240 लोगों को बंधक भी बना लिया था। इसके बाद से इजरायली सेना गाजा पट्टी में हमास आतंकियों को चुन-चुनकर मार रही है।
इजरायली हमले में 20 हजार लोगों की जान जा चुकी है, जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
हालाँकि, इज़रायली हमलों ने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
उधर, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लगभग 1.9 मिलियन गाजावासी विस्थापित हो गए हैं और कई लोग दक्षिण की ओर भाग गए हैं। लोग पानी, भोजन, ईंधन और दवा की कमी से जूझ रहे हैं।