असम के पुलिस महानिदेशक (DGP) जीपी सिंह ने विद्रोहियों को ‘उन्हें निशाना बनाने’ की चुनौती दी।
इसके एक दिन बाद ही प्रतिबंधित उल्फा (I) ने सिंह को चैलेंज दे डाला और कहा कि वह अपने सुरक्षा घेरे के बिना हफ्ते भर घूमकर दिखाएं।
इस विद्रोही गुट के कैप्टन रुमेल असोम की ओर से साइन किया गया लेटर पत्रकारों के हाथ लगा है। इसमें कहा गया, ‘डीजीपी जीपी सिंह ने 15 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए हमें चुनौती दी थी। हमने इसे स्वीकार कर लिया है मगर 2 शर्तें हैं।’
शर्तें बताते हुए विद्रोही नेता ने कहा कि असम के टॉप पुलिस ऑफिसर को पश्चिमी-दक्षिणपूर्व एशिया (WESEA) इलाके के युवाओं, राज्य पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबलों को सुरक्षाकर्मी या ड्राइवर के तौर पर नहीं लगाना चाहिए।
आप केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) या भारतीय सेना के कर्मियों का इस्तेमाल करें। दूसरी बात यह है कि अगर आप सुरक्षा कवर के बिना रह सकते हैं तो सिर्फ एक हफ्ते के लिए गुवाहाटी में स्वतंत्र रूप से घूमकर दिखाइए।’
मालूम हो कि WESEA ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल विद्रोही संगठन अक्सर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए करते हैं।
डीजीपी ने क्या दिया था चैलेंज
उल्फा (I) ने जोरहाट जिले में सैन्य अड्डे के गेट के निकट गुरुवार की रात को हुए विस्फोट के साथ-साथ 22 नवंबर को तिनसुकिया और 9 दिसंबर को शिवसागर में सुरक्षा प्रतिष्ठानों के पास हुए विस्फोटों की जिम्मेदारी ली है।
संगठन ने शुक्रवार को बयान में कहा कि मूल निवासियों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हम उनके खिलाफ नहीं हैं।
संगठन की मांग को राजनीतिक मुद्दा मानने के बजाय कानून व्यवस्था की समस्या के रूप में स्थापित करने के डीजीपी सिंह के प्रयास के कारण वे विस्फोट कर रहे हैं। उल्फा (आई) के आरोपों के जवाब में डीजीपी ने कहा कि वे ‘हमेशा मेरा जिक्र करते हैं और अगर उनके पास कोई कारण है, तो वे हमेशा मुझे निशाना बना सकते हैं।’
प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा था, ‘मैं काहिलीपारा में रहता हूं और मेरा कार्यालय (डीजीपी मुख्यालय) उलुबरी (दोनों गुवाहाटी) में है।
वे आ सकते हैं और मुझे निशाना बना सकते हैं। वे यहां-वहां ग्रेनेड फेंककर आम लोगों को क्यों परेशान कर रहे हैं।’
पिछले कुछ महीनों के दौरान पुलिस असम लोक सेवा आयोग (APSC) के नौकरी के बदले नकदी घोटाले, कॉल सेंटर मामले और कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों की जांच में शामिल रही है।
अगर विस्फोटों की ऐसी घटनाएं जारी रहीं, तब स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल को आगे आना होगा और इससे आखिरकार आम लोग ही पीड़ित होंगे।’