दुबई में संयुक्त राष्ट्र (संरा) COP28 जलवायु शिखर सम्मेलन में हर जगह निगरानी कैमरे लगे देखे जा सकते हैं और इसे लेकर कई देश चिंतित भी हैं।
इनमें से कई कैमरे यूएई की उस कंपनी से संबंधित हैं जिसे ‘स्पाइवेयर’ नाम के मोबाइल फोन ऐप से संबंध होने के कारण जासूसी के आरोपों का सामना करना पड़ा है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपने व्यापक नेटवर्क से एकत्रित फुटेज का उपयोग कैसे करता है? लेकिन यह देश अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिहाज से दुनिया के सबसे व्यस्त दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के आव्रजन द्वारों पर चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली पहले ही लगा चुका है।
निगरानी कैमरे तेजी से आधुनिक जीवन का हिस्सा बन रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यूएई में प्रति व्यक्ति ऐसे कैमरों की संख्या दुनियाभर के किसी भी देश के मुकाबले सबसे अधिक है।
मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वाच की एक शोधार्थी जॉय शीया ने कहा, ”हमने यह मान लिया है कि इस सम्मेलन में हर चीज को कोई देख रहा है, कोई सुन रहा है।” वह और अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता इस धारणा के तहत काम करते हैं कि सीओपी28 में भाग लेने के दौरान निजी बातचीत करना असंभव है।
कंपनी को लेकर यह भी दावे किये गए थे कि वह चीन सरकार के लिए अमेरिकियों से गुप्त रूप से आनुवंशिक सामग्री एकत्र कर सकती थी। यह कंपनी अबू धाबी की कंपनी जी-42 की एक अलग शाखा ‘प्रीसाइट’ है, जिसकी देखरेख देश के शक्तिशाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं।
इस कंपनी के 12,000 से अधिक कैमरे लगभग 4.5 वर्ग किलोमीटर (1.7 वर्ग मील) की निगरानी करते हैं, जिसमें दुबई एक्सपो सिटी शामिल है। शिखर सम्मेलन के मीडिया सेंटर में कई प्रवेश द्वारों के ऊपर जी42 और प्रीसाइट के लोगो वाले कैमरे भी लगाए गए हैं। ग्रुप 42 के नाम से प्रसिद्ध जी42 और प्रीसाइट ने इस मामले में टिप्पणी करने के अनुरोध पर कोई जवाब नहीं दिया है।