पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किस तरह का बर्ताव हो रहा है, इसकी एक बार फिर से मिसाल देखने को मिली है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध प्रांत के मीठी शहर में एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। थारपारकर जिले के अधिकारियों का कहना है कि हिंगलाज माता मंदिर को नष्ट करने के लिए अदालत से आदेश मिला था, जिसका पालन हुआ है।
यह इकलौता मंदिर नहीं था जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति पाकिस्तान की असहिष्णुता का शिकार हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने नियंत्रण रेखा के पास शारदा पीठ मंदिर के एक हिस्से को भी ध्वस्त किया है।
हैरान करने वाली बात यह है कि मंदिर के विध्वंस को लेकर हरी झंडी ऐसे वक्त दी गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई हुई है।
बताया जा रहा है कि यह तोड़फोड़ कॉफी हाउस बनाने के लिए की गई है। इस नए कॉफी हाउस का उद्घाटन इस महीने के अंत में होने वाला है।
इसी साल जुलाई में इस्लामिक देश ने एक और हिंदू मंदिर को ‘पुरानी और खतरनाक संरचना’ घोषित कर गिरा दिया था। इसके बाद कराची के सोल्जर बाजार में स्थित मरी माता मंदिर पर बुलडोजर चलवा दिया गया। इस तरह भारी पुलिस बल की तैनाती में हिन्दुओं की भावनाएं आहत की गईं।
जुलाई में ढहा दिया गया था मरी माता मंदिर
मरी माता मंदिर 150 साल पहले बनाया गया था जो करीब 400 से 500 वर्ग गज क्षेत्र में फैला हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया कि इस मंदिर की जमीन को हड़पने के लिए डेवलपर्स की लंबे समय से नजर थी।
आखिरकार, ये लोग अपने नापाक इरादे में सफल हुए और मंदिर को तोड़ दिया गया। मालूम हो कि कराची विभिन्न प्राचीन हिंदू मंदिरों का केंद्र रहा है।
यह जगह पाकिस्तान में हिंदुओं की उपस्थिति को उजागर करती है। खास तौर से सिंध प्रांत में रहने वाले हिंदू लोग मुस्लिम निवासियों के साथ संस्कृति, परंपराएं और भाषा साझा करते हैं। यहां हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के कई सारे मामले सामने आए हैं जिनमें टारगेट किलिंग और जमीनों पर अतिक्रमण प्रमुख है।