प्रतिबंधित खालिस्तान समर्थक समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के सदस्यों ने सोमवार को कनाडा के एबॉट्सफोर्ड में वैंकूवर दूतावास द्वारा आयोजित भारतीय उच्चायोग के एक कार्यक्रम में बाधा डालने की कोशिश की।
उन्होंने जमीन पर गिरे भारतीय ध्वज को उठाने का प्रयास करने पर एक परिवार पर हमला भी किया। स्थानीय सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है।
आपको बता दें कि खालसा दीवान सोसाइटी एबॉट्सफ़ोर्ड द्वारा स्थानीय गुरुद्वारे की मदद से आयोजित शिविर में पेंशन पाने वाले समुदाय के सदस्यों को जीवन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए शिविर लगाया गया था।
उन्हें वैंकूवर तक पहुंचने के लिए संघर्ष न करना पड़े इसके कारण यह कैंप लगाया गया था। इस दौरान भारी भीड़ देखी गई।
एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को भारत में आतंकवादी घोषित किया गया है। उसने एक सिख परिवार को निशाना बनाया। इस परिवार में एक बुजुर्ग, उनका बेटा और पोता शामिल था।
बुजुर्ग आपना लाइफ सर्टिफिकेट जमा कराने के लिए गुरुद्वारा साहिब आए थे। सीएनएन न्यूज 18 ने सूत्रों के हवाले से कहा, “उन पर हमला इसलिए किया गया क्योंकि उन्होंने जमीन पर गिरा भारतीय ध्वज उठाने का प्रयास किया। ध्वज का जनमत संग्रह करने वाले गुंडों द्वारा अपमान किया जा रहा था।”
अमेरिका स्थित सिख नेता सुखी चहल ने सीएनएन-न्यूज18 को बताया, “मैं सभी कनाडाई गुरुद्वारा प्रबंधन समितियों से विनम्रतापूर्वक अपील करता हूं कि वे गुरपतवंत पन्नू और उनके अनुयायियों सहित खालिस्तानी एसएफजे से जुड़े व्यक्तियों का बहिष्कार करने पर विचार करें। सिख समाज को कट्टरपंथ से बचाने और हमारे पूजा स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है।”
भारत सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि यह केवल उस बात की पुष्टि करता है जो वे लंबे समय से कहते आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ”केवल एसएफजे के गुंडे ही भारत के खिलाफ हमलों में शामिल हैं। सिख हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहे हैं और इस परिवार को भारतीय ध्वज का अपमान बुरा लगा।”
सूत्रों ने आगे कहा, “एसएफजे के गुंडे और उनके वांटेड नेता को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। पुलिस बिना किसी प्रतिक्रिया के इसे देख रही है। इन घटनाओं से पता चलता है कि कनाडा सरकार भी चाहती है कि भारत के खिलाफ ये सब हो।”