प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को झारखंड से बड़ा देशव्यापी अभियान शुरू करने जा रही है। यह योजना सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों पर आधारित होगा।
झारखंड में खूंटी के उलिहातू गांव से पीएम मोदी ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। बता दें कि उलिहातू ही बिरसा मुंडा की जन्म स्थली है।
उनकी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री उलिहातू पहुंचने वाले हैं। इस यात्रा का बड़ा टारगेट आदिवासी समुदाय भी होगा। 25 जनवरी तक यह यात्रा पूरे देश के जिलों को कवर करेगी।
इसमें 3 हजार वैन शामिल होंगी जो कि देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों और 15 हजार शहरी इलाकों में यात्रा करेंगी। हर वैन एक ग्राम पंचायत में करीब दो घंटे रुकेगी।
इसका उद्देश्य उन लोगों को कवर करना होगा जिन्हें अब तक सरकारी स्कीम का फायदा नहीं मिला है। मुख्य रूप से मिडल क्लास और लोअर क्लास को कवर किया जाएगा।
22 नवंबर तक 21 राज्यों में 69 जिलों में 393 आदिवासी ब्लॉक की यात्रा होगी। इसमें करीब 9 हजार गांव शामिल हैं। इसके बाद यात्रा पूरे देश पर केंद्रित हो जाएगी।
मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मंत्री के साथ राज्यपाल भी यात्रा के दौरान कई जगहों पर मौजूद रहेंगे। जिन राज्यों में अभी चुनाव चल रहे हैं, वहां आचार संहिता खत्म होने के बाद यह यात्रा की जाएगी। 15 नवंबर को कुल 118 वैन को हरी झंडी दिखाई जाएगी।
बता दें कि सोमवार को मध्य प्रदेश में रैली के दौरान भी पीएम मोदी ने कहा था कि वजह झारखंड जाने वाले हैं। उन्होंने बिरसा मुंडा का नाम भी लिया था।
किसान सम्मान निधि की 15वीं किश्त भी करेंगे जारी
प्रधानमंत्री मोदी झारखंड पहुंचकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 15वीं किश्त के 18 हजार करोड़ रुपये जारी करेंगे।
बता दें कि इस योजना के तहत योग्य किसानों को चौथे महीने दो हजार रुपये की सहायता दी जाती है जो कि सीधे खाते में ट्रांसफर होती है। अब तक 14 किश्तें किसानों के खाते में जमा करवाई जा चुकी हैं।
आदिवासियों पर फोकस
आदिवासियों पर भाजपा सरकार का काफी फोकस है। बिरसा मुंडे का गांव से ही प्रधानमंत्री पर्टिकुलरली वलनरेबाल ट्राइबल ग्रुप डिवेलपमेंट मिशन भी शुरू होगा।
यह अपनी तरह का पहला अभियान है जिसके तहत आदिवासी इलाकों के विकास में 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। बता दें कि 2023-24 के बजट में ही पीएण पीवीटीजी डिवेलपमेंट मिशन का ऐलान किया गया था।
बता दें कि देशभर में करीब 75 पीवीटीजी हैं जिनमें 22544 गांवों में करीब 28 लाख लोग रहते हैं। दरअसल सुदूर और जंगली इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को मूलभूत सुविधाएं, सड़क, बिजली, पानी, सैनिटाइजेशन, हाउसिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के उद्देश्य से यह योजना शुरू की जा रही है।