कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव में नुकसान नहीं उठाना चाहती।
लिंगायत वोटों को साधने और डीके शिवकुमार की काट निकालने के लिए भाजपा ने राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र को सौंप दी है।
15 सितंबर को उनकी कर्नाटक यूनिट के भाजपा चीफ के तौर पर पहली रैली होने वाली है। इस मौके पर बेंगुलुरु पैलेस में भाजपा के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा होने वाला है।
भाजपा की जिम्मेदारी संभालने से पहले विजयेंद्र वोक्कालिंगा और लिंगायतों के मठ पहुंचे। बता दें कि कर्नाटक में ये दोनों ही समुदाय बहुतायत हैं।
भाजपा को उम्मीद है कि इस कदम से उसे 2024 के आम चुनाव में फायदा मिलने वाला है। इससे दोनों समुदायों पर उसकी पकड़ मजबूत होगी।
बहुत सारे लोगों का कहना है कि विधानभा चुनाव में 104 से सीधे 66 सीटों पर आने की वजह यह भी है कि बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से दो साल पहले ही हटा दिया गया था। वहीं वोकालिंगा समुदाय ने इस उम्मीद में कांग्रेस को वोट दे दिया कि शायद डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाया जाए।
कर्नाटक में भाजपा के दो बड़े दांव
चुनाव से पहले जेडीएस के साथ गठबंधन और बीएस येदियुरप्पा के बेटे को राज्य यूनिट की जिम्मेदारी, ये दोनों कदमों से भाजपा को बड़ी उम्मीदें हैं। बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस और जेडीएस एक-एक सीट ही जीत पाई थी।
रविवार को तुमाकुरु में मीडिया से बात करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि वह जल्द ही दिल्ली जाएंगे और लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बैठक करेंगे। वहीं कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता का भी चुनाव होना है। दिल्ली में ही इसका फैसला होना है कि कौन नेता प्रतिपक्ष के लिए उम्मीदवार होगा।
मिल सकती है नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विजयेंद्र को ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनके आने से बासवरराज बोम्मई और बासनगौड़ा पाटिल यातनाल की उम्मीदें कम हो गई हैं।
वहीं जानकारों का कहना है कि इसके लिए वोक्कालिगा या फिर ओबीसी नेता का चुनाव किया जा सकता है। बता दें कि पूर्व डिप्टी सीएम आर अशोका और सीएन अश्वथ नारायण दोनों ही वोक्कालिगा हैं। वहीं ओबीसी में पूर्व मंत्री सुनील कुमार करकाला और कोटा श्रीनिवास पुजारी का नाम है।