इजरायल-हमास युद्ध के बीच भारत और अमेरिका की 5वीं 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक हुई है।
इस बैठक में दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर खुलकर इजरायल का समर्थन किया है। नई दिल्ली में हुई इस बैठक के दौरान रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने के लिए भी चर्चा हुई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ अपनी बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा कि दोनों देश रणनीतिक मुद्दों पर सहमत हैं। दोनों देश वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना चाहते हैं।
साथ ही चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने लिए एकजुटता भी दिखाई। इस बैठक के दौरान सबसे बड़ी बात यह हुई कि दोनों देशों ने पाकिस्तान का नाम तक लेना उचित नहीं समझा।
दोनों देशों ने संयुक्त रूप से आतंकवादी हमलों के खिलाफ इजरायल के लिए समर्थन की घोषणा की। हालांकि, दोनों देशों ने हमास का नाम नहीं लिया।
अपनी स्थापना के बाद पहली बार 2+2 के बैठक के दौरान जारी अपने संयुक्त बयान में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। साथ ही यह भी कहां कि कोई भी देश अपनी धरती को आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल न करने दे। साथ ही लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।
संयुक्त बयान में इजरायल-हमास संघर्ष का प्रमुखता से उल्लेख किया गया, जिसमें इजरायल के खिलाफ आतंकवादी हमलों का उल्लेख किया गया है।
मंत्रियों ने दोहराया कि भारत और अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ इजरायल के साथ खड़े हैं। शेष सभी बंधकों की तत्काल रिहाई की भी मांग की गई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने और नागरिकों की सुरक्षा का भी आह्वान किया।
भारत में बख्तरबंद वाहनों के सह उत्पादन के लिए अमेरिका तैयार
प्रीडेटर ड्रोन, जीई इंजन के बाद अब अमेरिका भारत में बख्तरवंद वाहनों के सह उत्पादन के लिए भी तैयार हो गया है। शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता में इस पर सहमति बनी।
इस दौरान प्रीडेटर ड्रोन और जीई इंजनों के सौदे को लेकर भी आगे की प्रक्रिया पर चर्चा की गई। दोनों देशों के बीच ‘टू प्लस टू’ विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता रूस-हमास युद्ध और पश्चिम एशिया में हमास एवं इजरायल के बीच बढ़ रहे संघर्ष के कारण बढ़ती भूराजनीतिक उथल-पुथल के बीच हुई है।
बैठक के बाद विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा और रक्षा सचिव गिरधर अरमने ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका ने सेना के लिए युद्धक वाहनों का देश में निर्माण करने का प्रस्ताव दिया है। दोनों देशों की एजेंसियां इंफेंट्री कांबेट वाहनों यानी बख्तरबंद वाहनों का देश में ही निर्माण करेंगी।
‘टू प्लस टू’ मंत्रिस्तरीय वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।
रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ाने पर बात
बातचीत के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, हमारे एजेंडे में हमारी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बात की गई है। इसमें हमारे रक्षा संबंधों को मजबूत करने, अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में आगे बढ़ना, भविष्य में साजो-सामान संबंधी सहयोग और लोगों के आपसी संबंधों पर चर्चा की गई।
उन्होंने कहा, हिंद-प्रशांत, दक्षिण एशिया, पश्चिम एशिया और यूक्रेन संघर्ष पर भी दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया। बहुपक्षीय क्षेत्र में हमारे सहयोग और इसमें ‘ग्लोबल साउथ’ को शामिल करने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
भारत-अमेरिका संबंधों में रक्षा अहम बिंदु
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने रुचि दिखाई है। रक्षा, हमारे संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है। उन्होंने कहा कि कई उभरती भूराजनीतिक चुनौतियों के बावजूद हमें अहम एवं दीर्घकालिक मामलों पर अपना ध्यान केंद्रित रखने की आवश्यकता है। एक मुक्त, स्वतंत्र एवं नियम आधारित हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिए हमारी साझेदारी अहम है।
भारत को जल्द मिलेगा एमक्यू-9बी ड्रोन
अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि चीन से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों सहित विभिन्न मुद्दों पर बैठक के दौरान चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका-भारत संबंध सिर्फ चीन की ओर से मिली चुनौतियों पर ही आधारित नहीं हैं, बल्कि ये दोनों देशों के साझा मूल्यों पर आधारित हैं।
भारत के अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी ड्रोन खरीदने से जुड़ी परियोजना के बारे में पूछने पर ऑस्टिन ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं कि भारत को वह क्षमता जल्द से जल्द हासिल हो। ऑस्टिन ने कहा, हम अंतरिक्ष से लेकर समुद्र के नीचे तक विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका-भारत रक्षा सहयोग को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, मौजूदा अमेरिका-भारत सहयोग पहले से कहीं अधिक मजबूत है।