राजधानी दिल्ली इन दिनों गैस चैंबर बनी हुई है।
प्रदूषण की वजह से लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है। दिल्ली औऱ आसपास के इलाकों में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है।
हवा की गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंच गई है। इन हालात को देखते हुए राजधानी में ग्रैप लागू कर दिया गया है। इसका मतलब ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान होता है।
दिल्ली का यह हाल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने और मौसमी गतिविधियों की वजह से हुआ है। इस समय आम तौर पर हवा की रफ्तार बेहद कम हो जाती है।
वहीं जब पराली जलाई जाती है तो उससे उठने वाला स्मोग जम जाता है। इसीलिए इन दिनों दिल्ली का प्रदूषण दमघोटू हो गया है। मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले चार दिनों में कुछ राहत मिल सकती है।
क्यों गैस चैंबर बन गई दिल्ली
पंजाब में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने की घटना आम हो गई है। सरकार के प्रतिबंधों के बावजूद लोग इसे छोड़ नहीं रहे हैं।
इस साल 31 अक्टूबर से पराली जलाने की घटनाएँ तेज हुईं। पंजाब के लगभग 10 लाख एक्टेयर खेतों में पराली जलाई गई। अब भी यह बंद नहीं है। हो सकता है कि चार दिन बाद इसमें कमी आए।
कब मिलेगी राहत
मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में मौसमी गतिविधियों में परिवर्तन देखने को मिलेगा और तभी प्रदूषण से राहत भी मिलेगी।
7 नवंबर के आसपास पश्चिमी विक्षोभी की उम्मीद है। इससे हल्की फुल्की बूंदाबांदी भी हो सकती है। मौसम विभाग के महानिदेश मृत्युंजन महापात्रा ने कहा. ठंड के समय में इस क्षेत्र का ऐटमॉस्फेरिक सर्कुलेशन एंटी साइक्लोनिक हो जाता है।
इससे हवा नीचे की ओर आती है। वहीं मॉनसून के दौरान हवा ऊपर की ओर उठती है। हवा नीचे की ओर होने की वजह से स्मोग के कण भी निचली सतह में आ जाते हैं। इसी वजह से दिल्ली गैस चैंबर बन जाती है।
इस प्रदूषण के पीछे मुख्य कारण पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं ही है। 15 सितंबर के बाद से लगभग 12800 जगहों पर पराली जलाई गई। पंजाप का प्रदूषण दिल्ली में आकर ठहर जाता है।
पाकिस्तान की तरफ से आने वाली हवाएँ पंजाब से होकर दिल्ली की ओर बहती हैं। पिछले तीन दिनों से पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ी हैं और ऐसे में प्रदूषण भी बढ़ गया है।