बम्बई उच्च न्यायालय ने कहा कि एक नौकरी के लिए अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते।
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में विभिन्न नगर निगमों ने दमकल कर्मी के पद के लिए आवेदन करने वाली महिला उम्मीदवारों के लिए लंबाई के अलग-अलग मानदंड तय किए हैं, जो भेदभावपूर्ण और मनमाना है।
न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की एक खंडपीठ ने पिछले सप्ताह एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि एक ही तरह की नौकरी के लिए अलग-अलग मानदंड नहीं हो सकते और महिला उम्मीदवारों को इस तरह के मनमाने नियमों से परेशान नहीं किया जा सकता।
पीठ ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए पुणे नगर निगम को महिला याचिकाकर्ताओं को चयन प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया, हालांकि उनका चयन इस मामले में अदालत के अंतिम आदेश के अधीन होगा। अदालत ने राज्य सरकार और पुणे नगर निगम को अपने-अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने को कहा है, साथ ही मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर के लिए निर्धारित कर दी है।
अदालत, पुणे नगर निगम में दमकल विभाग में दमकलकर्मी के पद के लिए आवेदन करने वाली चार महिलाओं की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। महिलाओं के अधिवक्ता ए.एस. राव ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को सूचित किया गया कि महिला उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम लंबाई 162 सेंटीमीटर है, जिसपर वे खरा नहीं उतरती हैं।
क्या है नियम
राव ने अदालत को अवगत कराया कि ‘महाराष्ट्र अग्निशमन सेवा प्रशासन’ के मुताबिक, महिला उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम लंबाई 157 सेंटीमीटर है, लेकिन पुणे, मुंबई, ठाणे और नागपुर नगर निकायों ने न्यूनतम लंबाई 162 सेंटीमीटर तय की गई है। वकील ने कहा कि महाराष्ट्र में कुछ नगर निगम ऐसे भी हैं, जो 157 सेंटीमीटर लंबाई के नियम का पालन करते हैं।