हमास के खिलाफ कार्रवाई के तहत इजरायल गाजा पर हमला करने की तैयारी में है। हालांकि उसकी इस योजना में हमास का एक खास हथियार बाधा बन सकता है। यह है हमास का ‘टेरर नेटवर्क’।
कई किलोमीटर तक फैली यह सुरंगें हमास के लड़ाकों के लिए बहुत बड़ी नेमत हैं। हमास आतंकी इनका इस्तेमाल हमलों के साथ-साथ मटीरियल की सप्लाई में भी करते हैं।
अब इस टनल नेटवर्क से पार पाने के लिए इजरायल एक नया हथियार इजाद करने में जुटा हुआ है।
दिया गया है यह नाम
इजरायल ने इस नए हथियार को स्पंज बम नाम दिया है। यह बम एक केमिकल रिएक्शन से फटता है और फोम छोड़ता है। इसका इस्तेमाल हमास के टनल नेटवर्क के रास्तों को बंद करने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए इजरायली सेना खास अभ्यास में भी जुटी हुई है। अधिकारियों के मुताबिक इजरायल के सैनिक नकली सुरंगें बनाकर स्पंज बम के इस्तेमाल की प्रैक्टिस कर रहे हैं।
ताकि गाजा पर जमीनी हमले के दौरान इसे अमल में लाया जा सके। हालांकि आईडीएफ ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में इसको लेकर चर्चा काफी तेज है। बता दें कि इजरायली अधिकारी भी स्वीकार कर चुके हैं कि गाजा पट्टी पर लगातार तीन हफ्तों की बमबारी के बावजूद टनल नेटवर्क को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया जा सका है।
जमीन से 100 फीट नीचे है सुरंग
हमास की यह खुफिया सुरंग जमीन से करीब 100 फीट नीचे है। यह अपने आप में कई तरह के रहस्यों से भरी हुई है। इसको बनाने में ठोस कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।
यहां तक कि बाहर से इस बात का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है कि इस सुरंग की एंट्रेंस कहा है। इस सुरंग के अंदर घर, मस्जिदें और स्कूल तक बने हुए हैं। सुरक्षा का स्तर है कि हमास आतंकी किसी टेंशन के अंदर घूमते-फिरते रहते हैं। वह पूरे गाजा में मूवमेंट करते रहते हैं, लेकिन बाहर किसी को इसकी भनक तक नहीं लगती। इस सुरंग की बदौलत वह इजरायल के हवाई हमलों से भी सुरक्षित हैं।
यहीं रखे गए हैं बंधक
गौरतलब है कि इसी टनल में हमास ने उन दो सौ बंधकों को भी यहीं पर रखा है जिन्हें सात अक्टूबर को हमले के दौरान पकड़ा गया था।
ऐसी भी आशंका है कि अगर इजरायल जमीनी हमला करता है तो सबसे पहले यह बंधक ही उसके रास्ते में आएंगे। अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने तो यहां तक कह डाला है कि इजरायल के लिए यह टास्क इराक के उस युद्ध से भी खतरनाक है जो उसने मोसुल सिटी को वापस पाने लिए इस्लामिक स्टेट से नौ महीने तक लड़ा था। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इस सुरंग में बड़ी संख्या में आईईडी हों और सेना को उलझाने के लिए दूसरे भी जाल बुने गए हों।