प्रवीण नंगिया (ज्योतिष सलाहकार):
मान्यताओं के अनुसार हर बार शरद पूर्णिमा पर नहीं रखी जाएगी खीरकी रात अमृत वर्षा के लिए रात को रखी जाने वाली खीर इस बार नहीं रखी जा सकेगी।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा इस रात खंडग्रास चन्द्रग्रहण के कारण संभव नहीं हो पाएगा।
सूतक काल नौ घंटे पूर्व 28 अक्तूबर की शाम से ही शुरू हो जाएगा, इसलिए पूर्णिमा से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान इस दिन शाम चार बजकर पांच मिनट से पूर्व ही संपन्न करने होंगे।
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा 28 अक्तूबर को लगने जा रहा खंडग्रास चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा।
खंडग्रास चंद्रग्रहण भारत के अलावा अटलांटिक महासागरर्, ंहद महासागर, पश्चिमी एवं दक्षिणी प्रशांत महासागर, अफ्रीका, यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया, दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी उत्तरी भाग में दिखेगा।
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है और इस रात चांद की किरणें अमृत वर्षा करती हैं। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी गई हैं।
यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है, ताकि इसमें चंद्रमा की किरणें पड़ें और अमृत का प्रभाव हो सके।
रात को होने वाली इसी अमृत वर्षा में खीर रखने की मान्यता है, लेकिन इस बार चंद्रग्रहण के कारण यह संभव नहीं हो सकेगा। नौ साल पहले भी चंद्रग्रहण के कारण ऐसी स्थिति बनी थी।
शाम 4 बजकर 5 मिनट तक कर लें पूजन अर्चन
आचार्य पंडित बृजमोहन सेमवाल के अनुसार शरद पूर्णिमा 28 अक्तूबर की प्रात: 3 बजकर 47 मिनट से लगेगी जो 28/29 अक्तूबर की भोर 2 बजकर एक मिनट तक रहेगी।
इस दौरान शाम चार बजकर पांच मिनट तक पूजन अर्चन कर लें। भारतीय समयानुसार ग्रहण का स्पर्श रात्रि में 1:05 बजे तथा मोक्ष रात्रि 2:24 बजे होगा।