पुरी का जगन्नाथ मंदिर और उसका रत्न भंडार हमेशा श्रद्धालुओं की जिज्ञासा का मुद्दा रहा है।
अब जब लोकसभा और ओडिशा में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, तो मंदिर के खजाने के लेकर एक बार फिर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
कांग्रेस से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक इसे लेकर प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। खास बात है कि भंडार को करीब 3 दशकों से नहीं खोला गया है।
अंदर कितना खजाना?
दोनों कमरों में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण हैं। पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में अप्रैल 2018 को खजाने की जानकारी दी थी।
उन्होंने बताया था कि 1978 में रत्न भंडार में 12 हजार 831 भारी सोने के आभूषण हैं, जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए हैं। साथ ही 22 हजार 153 चांदी के बर्तन और अन्य चीजें भी हैं। एक भारी यानी 11.66 ग्राम।
आखिरी बार कब खोला गया?
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि साल 1978 में 13 मई और जुलाई 23 के बीच रत्न भंडार आखिरी बार खोला गया था। खास बात है कि साल 1985 में 14 जुलाई को भी कमरा खोला गया, लेकिन अंदर क्या है कि इसकी जानकारी अपडेट नहीं की गई।
12वीं सदी के इस मंदिर में दो कमरे हैं। इनमें से एक को भीतर भंडार और एक को बाहर भंडार कहा जाता है। अब बाहरी कमरे को तो सालाना रथ यात्रा के समय पूजा के लिए खोला जाता है। इसके अलावा कई और अहम मौकों पर भी बाहर भंडार से आभूषण निकाले जाते हैं, लेकिन भीतर भंडार को खोले हुए 38 साल हो चुके हैं।
क्या है कमरों को खोलने की प्रक्रिया?
इन्हें खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी होती है। उच्च न्यायालय की तरफ से निर्देश मिलने के बाद राज्य सरकार ने 2018 में कमरा खोलने की कोशिश की थी, लेकिन चाबी नहीं होने की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। तब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बाहर से ही निरीक्षण किया था।
क्या है चाबियों को मामला?
2018 में पुरी कलेक्टर रहे अरविंद अग्रवाल बता चुके हैं कि चाबियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। खास बात है कि भीतर कमरे की चाबी का जिम्मा कलेक्टर के पास ही है। इसके करीब दो महीनों के बाद ही मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रघुबीर दास की अगुवाई में चाबियों के खोने की न्यायिक जांच के आदेश दिए। आयोग ने सरकार को 324 पन्नों की रिपोर्ट भी सौंपी थी, लेकिन अब तक इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है।
जांच के आदेश के बाद 13 जून को ही कलेक्टर अग्रवाल ने कलेक्ट्रेट के रिकॉर्ड रूम में एक लिफाफा होने की जानकारी दी, जिसपर लिखा था ‘भीतर रत्न भंडार की डुप्लिकेट चाबियां’।
ASI फिर हुआ सक्रिय
अगस्त 2022 में एएसआई ने भीतर कमरे की को खेलने की अनुमति मांगी। इस संबंध में श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिली है। अब लगातार हो रही इस मांग के बीच मंदिर प्रबंधन समिति अगस्त में ही रथ यात्रा 2024 के दौरान रत्न भंडार को खोलने की बात कह चुकी है।
सियासी एंगल
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने पुरी में शक्ति प्रदर्शन किया था और रत्न भंडार का मुद्दा उठाया। साथ ही पार्टी कई अन्य मुद्दों को लेकर भी प्रदर्शन कर रही थी। इसके बाद बुधवार को ओडिशा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष समीर मोहंती की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति यानी SJTMC के अध्यक्ष गजपति दिव्यसिंग देव से मिला। मुलाकात के दौरान इसे दोबारा खोले जाने की मांग की गई।