इजरायल पर हमास के हमले के बाद भारत भी सतर्क, आतंकवाद के खिलाफ नई रणनीति…

कुछ साल पहले तक यह चर्चा जोरों पर थी कि हमें अपनी सीमाओं को अभेद्य बनाने के लिए इजरायल की तरह कदम उठाना चाहिए।

लेकिन इजरायल पर हमास के हमले के बाद चर्चा का बिंदु पूरी तरह से बदल गया है। अब इजरायल से सीख लेने की बात बिलकुल अलग संदर्भ में हो रही है।

इजरायल की घटना से सबक लेकर सुरक्षा एजेंसियां, केंद्रीय सशस्त्र बल और राज्यों के विशेष बल को एंटी टेरर रणनीति के लिए खासतौर पर तैयार करने की बात की जा रही है।

पिछले दिनों एक सुरक्षा संबंधी बैठक में आतंक रोधी केंद्रीय एजेंसियों की ओर से इस बात की पुरजोर वकालत की गई है कि चरम आतंकी हमलों के जवाब के लिए राष्ट्रीय स्तर पर फ्रेमवर्क बनना चाहिए। यह भी कहा गया है कि राज्य के विशेष बल और आतंक रोधी केंद्रीय बल मिलकर तकनीकी प्रयोग के साथ आतंक रोधी जमीनी अभ्यास बढ़ाएंगे।

इजरायल पर हमास के ताजा हमले का उल्लेख करते हुए एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, हमें चरम आतंकवादी स्थितियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संकट प्रबंधन और प्रतिक्रिया की एक रूपरेखा बनाने की आवश्यकता है।

अधिकारी ने कहा, अकेले प्रौद्योगिकी पर निर्भरता के स्थान पर तकनीकी प्रौद्योगिकी के साथ उच्च प्रशिक्षित बलों द्वारा निगरानी के साथ सीमा के अंदर भी त्वरित प्रतिक्रिया की खास तैयारी जरूरी है। खुफिया समन्वय और हर सूचना का बारीकी से विश्लेषण होना भी जरूरी है। इस दिशा में लगातार प्रयास हो भी रहा है।

विशेष प्रशिक्षण पर फोकस
अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय और राज्य स्तर पर सभी सुरक्षा एजेंसियों को अपने कर्मियों के कौशल उन्नयन में लगातार निवेश करने की आवश्यकता है, जो आतंकवादी प्रतिक्रिया तंत्र में सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।

बैठकों में हुई चर्चा में कहा गया है कि तकनीकी के साथ अत्याधुनिक उपकरण और हथियार और इसे संचालित करने वाला प्रशिक्षित बल इनका मिश्रण ही आतंक को सटीक और स्पष्ट जवाब देने में सक्षम हो सकता है।

सीमा पर चुनौतियां अधिक
एक अधिकारी ने कहा,भारत की सीमा पांच देशों से लगी है। सीमाओं की लंबाई बहुत ज्यादा है। इजरायल की तरह छोटी सीमा नहीं है। हमारे यहां 20 हजार फुट की ऊंचाई से लेकर घने जंगलों, नदी-नाले, समुद्र और रेगिस्तानी इलाकों में सीमाएं हैं। हमारी चुनौती कई मामलों में ज्यादा और अलग है।

कई इलाके ऐसे हैं जहां बाड़ लगाना संभव नहीं है। फिर भी मल्टी लेयर सुरक्षा सिस्टम से सीमा पर निगरानी और घुसपैठ के बाद त्वरित कार्रवाई के लिए मजबूत व्यवस्था है।

कई तरफ करनी होती है निगरानी
भारत में पाकिस्तान सीमा पर, पीओके की तरफ से, जम्मू-कश्मीर और पंजाब सीमा पर साथ ही म्यांमार की तरफ से ड्रोन के जरिये हथियारों और ड्रग्स की तस्करी होती रहती है। लेकिन भारतीय सेना, बीएसएफ और वायुसेना की कड़ी निगरानी की वजह से सफल नहीं हो पाते।

आमतौर पर जिस तरह के ड्रोन्स मार गिराए जाते हैं, उनमें से ज्यादातर चीन में बने हुए होते हैं। यह बात कई बार प्रमाणित हो चुकी है कि पाकिस्तान, म्यांमार को चीन की तरफ से ड्रोन्स और अन्य तरह की मदद मिलती रहती है।

अधिकारी ने कहा, हम सीमाओं पर अत्याधुनिक हथियार, तकनीक और यंत्र लगा रहे हैं, ताकि किसी भी तरह की घुसपैठ संभव न हो पाए। साथ ही घुसपैठ रोधी ग्रिड में शामिल बहुस्तरीय व्यवस्था के तहत सीमा में घुसते ही आतंकी को तीन से पांच किलोमीटर तक की सीमा में मार गिराया जाता है।

इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सिस्टम
हमारा इंटीग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सिस्टम है। पूर्वी कमांड के अंदर आने वाली सभी सीमाओं पर बड़े पैमाने पर रडार प्रणाली हैं। दुश्मन छिप ही नहीं सकता। जहां बाड़ लगी है वहां भी मल्टी लेयर सिस्टम काम करता है। एंटी इनफिल्ट्रेशन ग्रिड काफी कारगर साबित हुई है।

घुसपैठ के खिलाफ व्यापक रणनीति
अधिकारियों के मुताबिक, सीमा पार से घुसपैठ पर अंकुश लगाना हमेशा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर सीमा पार से घुसपैठ को रोकने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है।

जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ सीमा प्रबंधन को मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बहु-स्तरीय तैनाती, घुसपैठ मार्गों की निगरानी, ​​​​निर्माण शामिल है। सुरक्षा बलों के लिए तकनीकी समाधानों, हथियारों और उपकरणों के माध्यम से कमियों को दूर करना, बेहतर खुफिया जानकारी और परिचालन समन्वय सहित सीमा पर बाड़ लगाना हमारी सीमा प्रबंधन व्यवस्था का हिस्सा है।

समर्पित खुफिया एजेंसियों के इनपुट के अलावा सुरक्षा बलों की आंतरिक खुफिया विंग भी निरंतर समन्वय से काम करती है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर जिन स्थानों पर लेजर दीवारें स्थापित की गई हैं, वह खतरे की धारणा और अन्य संबंधित कारकों पर निर्भर करता है, जिनकी अक्सर समीक्षा की जाती है।

नई बीओपी बनाने का काम जारी
गृह मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से लगती 3,323 किलोमीटर लंबी पाकिस्तान सीमा पर, सरकार ने 2,078.80 किलोमीटर फ्लडलाइट की मंजूरी दी है, जिसमें से 2,043.76 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है।

शेष 35.04 किलोमीटर का काम जारी है। इसके अलावा, सीमा पार से घुसपैठ, तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए, गृह मंत्रालय ने 2,097.646 किलोमीटर बाड़ लगाने की मंजूरी दी है, जिसमें से 2,064.666 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर 736 स्वीकृत सीमा चौकियों में से 675 का काम पूरा हो चुका है। शेष को जून, 2025 तक पूरा किया जाना है।

चुनौतियों से सतर्क रहने की जरूरत
बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा का कहना है कि पाकिस्तान के पास अत्याधुनिक किस्म के स्टेल्थ ड्रोन हैं। उसे चीन और तुर्की से ड्रोन मिल रहे हैं। ये ड्रोन कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के जरिये लक्ष्य पर मिसाइल की तरह हमले करके वापस जाने में सक्षम हैं।

उन्होंने कहा कि हथियार भेजने के लिए तो पुराने किस्म के ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान की तरफ से किए जाने की बात पहले सामने आ चुकी है। ये ड्रोन गिर जाते थे।

अब स्टील्थ ड्रोन ज्यादा खतरनाक हैं। इसके अलावा आईएसआई की शह पर पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के लगातार सक्रिय रहने और घुसपैठ की कोशिश में एक नया पहलू तालिबान लड़ाकों का जुड़ा है। तालिबान में सत्ता परिवर्तन के बाद कई लड़कों को आईएसआई ने अपने मोहरे के तौर पर तैयार किया है। हालांकि अभी तक इनका सीधा इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं हुआ है।

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