साइकी अब तक खोजा गया 16वां ‘क्षुद्रग्रह’ है।
क्षुद्रग्रह सौर मंडल का हिस्सा हैं। ये न तो पूर्ण ग्रह हैं और न ही कभी-कभार आने वाले धूमकेतु हैं। कई अध्ययनों और रिसर्च के बाद आज हम जानते हैं कि मंगल और बृहस्पति की कक्षाओं के बीच क्षुद्रग्रह की पट्टी में लाखों अंतरिक्ष चट्टानें हैं, जिनका आकार बौने ग्रह सेरेस से लेकर छोटे कंकड़ और धूल के कणों जैसा है।
इन सबके बीच साइकी आज भी खास है। लगभग 226 किलोमीटर के औसत व्यास के साथ, यह सबसे बड़ा ”एम-प्रकार” का क्षुद्रग्रह है, जो पृथ्वी के कोर की तरह लौह और निकल से बना है।
पिछले सप्ताह नासा ने साइकी के अध्ययन के लिए एक अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित किया था। यह मिशन धरती के सुरागों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए छह साल में 3.6 अरब किलोमीटर की यात्रा करेगा, इसे लेकर पृथ्वी वैज्ञानिकों में दिलचस्पी बढ़ गई है।
प्राकृतिक प्रयोगशालाएं साइकी जैसे एम-प्रकार के क्षुद्रग्रहों को सौर मंडल के प्रारंभिक वर्षों में नष्ट हुए ग्रहों के अवशेष माना जाता है।
इन क्षुद्रग्रहों में, भारी तत्व (जैसे धातु) केंद्र की ओर आ गए और हल्के तत्व बाहरी परतों की ओर गए। फिर, अन्य वस्तुओं के साथ घर्षण के कारण, बाहरी परतें फट गईं और धातु-समृद्ध कोर को पीछे छोड़ते हुए अधिकतर सामग्री अंतरिक्ष में निकल गई।
ग्रहों के कोर का अध्ययन करने के लिए ये धात्विक संसार एकदम सही ‘प्राकृतिक प्रयोगशालाएं’ हैं।
पृथ्वी के केंद्र का अध्ययन करने की मौजूदा विधियां बिल्कुल अप्रत्यक्ष हैं। कभी-कभी सौर मंडल के प्रारंभिक इतिहास और ग्रह की भी छोटी-छोटी झलकियां मिलती हैं। यह सिलसिला धात्विक उल्कापिंडों से लेकर पृथ्वी पर गिरने वाले क्षुद्रग्रहों तक है। बहरहाल, यह दृष्टिकोण बहुत सीमित है।
कोर का अध्ययन करने का दूसरा तरीका भूकंप विज्ञान का उपयोग करना है। भूकंप के कारण होने वाले कंपन का ग्रह के आंतरिक भाग से गुजरने का अध्ययन वैसा ही है जैसा कि डॉक्टर हमारे शरीर के अंदर देखने के लिए अल्ट्रासाउंड का उपयोग कर सकते हैं। वैसे पृथ्वी पर हमारे पास महासागरों और दक्षिणी गोलार्ध में सिस्मोग्राफ कम ही हैं जो कोर के बारे में हमारे ही अध्ययन के दायरे को सीमित कर देते हैं।
इसके अलावा, ग्रह की बाहरी परतों के नीचे दबा हुआ कोर का हिस्सा हमारे दृष्टिकोण को और भी अस्पष्ट कर देता है। यह किसी दूर की वस्तु को ऐसे लेंस से देखने जैसा है जिसमें कोई खामी हो।
भूकंप विज्ञान के साथ-साथ, पृथ्वी के आंतरिक भाग के उच्च दबाव और तापमान को समझने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगशाला के प्रयोगों की मदद लेते हैं और कोर के बारे में जानते हैं। वैज्ञानिक भूकंप विज्ञान और प्रयोगशाला के प्रयोगों के अलावा कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग करके उन्हें समझाने का प्रयास करते हैं।
नासा के साइकी मिशन को ग्रह की चट्टानी परत, धीरे-धीरे चलने वाले मेंटल और तरल कोर के माध्यम से यात्रा किए बिना पृथ्वी के केंद्र की ओर जाने वाले मिशन के रूप में देखा जा सकता हैं।
मिशन का लक्ष्य यह पता लगाना है कि क्या साइकी वास्तव में एक नष्ट हुए ग्रह का हिस्सा है, जो शुरू में गर्म और पिघला हुआ था लेकिन धीरे-धीरे ठंडा हो गया और पृथ्वी ग्रह की तरह ठोस हो गया। दूसरी ओर यह भी संभव है कि साइकी ऐसी सामग्री से बना हो जो कभी पिघली ही न हो।