केंद्र सरकार नंवबर के पहले सप्ताह से देश की पहली नॉन-एसी पुल-पुश ट्रेन दिल्ली से मुंबई और पटना के बीच चला सकती है।
इसके अलावा दक्षिण भारत में दिल्ली-चेन्नई-हैदराबाद के बीच भी पुल-पुश ट्रेनें चलाने की योजना है।
22 कोच वाली इन ट्रेनों में सिर्फ स्लीपर-जनरल कोच होंगे और किराया समान्य (उक्त श्रेणी) का होगा। जबकि इनकी रफ्तार राजधानी-शताब्दी की तर्ज पर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी और सुविधाएं बेहतर होंगी।
पुल-पुश ट्रेनें चलाने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री कार्यायल (पीएमओ) द्वारा लिया जाएगा। इसलिए रेलवे बोर्ड के अधिकारी ट्रेनों के चलाने के समय और शहरों के नाम को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
सूत्रों ने बताया कि आईसीएफ-चेन्नई में पुश-पुश ट्रेनों के कोच 23 अक्तूबर तक बनकर तैयार हो जाएंगे। जबकि चितरंजन लोकोमोटिव वर्क-पश्चिम बंगाल में पुल-पुश ट्रेनों के लिए विशेष इंजन बनाए गए हैं।
पुल-पुश ट्रेन की ये हैं विशेषताएं
पुल-पुश परिचालन में ट्रेन के आगे और पीछे दो इंजन लगेंगे। लेकिन इसे एक ड्राइवर और उसका सहायक ही चलाएगा।
पुल-पुश तकनीक में तेज पिकअप और तेज गति से रुकने से ट्रेन की औसत रफ्तार 10-15 फीसदी बढ़ जाएगी। इसकी अधिकतम रफ्तार राजधानी-शताब्दी एक्सप्रेस की तर्ज पर 130 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इससे कई रेलमार्गों पर पुल-पुश ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस से कम समय लगेगी।
श्रमिकों-कामगारों को ध्यान में रखकर चलाई जा रही है ट्रेन
बतातें हैं कि पुल-पुश ट्रेनों का नाम वंदे जनसाधारण रखा जा सकता है। क्योंकि 22 कोच में 12 कोच स्लीपर और आठ कोच सेकेंड स्लीपर बर्थ (सिटिंग) के होंगे। पुल-पुश ट्रेनें महाराष्ट्र्र पंजाब, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि राज्यों में जाने वाले श्रमिकों-कामगारों और तकनीशियनों को ध्यान में रखकर चलाई जा रही हैं।
दो कोच सिर्फ दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित होंगे
ट्रेन में दो कोच विशेष रूप से दिव्यांगजनों के मुताबिक डिजाइन किए गए हैं। यह कोच सिर्फ दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित होंगे।
व्हीलचेयर आने जाने के लिए चौड़े दरवाजे व चौड़े गलियारे होंगे। बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां होंगी। कोचों में ब्रेल लिपि होगी। जोकि स्पर्शनीय कोड है जो दृष्टिबाधित लोगों को पढ़ने और लिखने में सक्षम बनाता है।
ट्रेन में विशेष प्रकार की लाइटिंग, बर्थ के कुशन, प्रत्येक सीट पर मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट, यात्री सूचना प्रणाली, शौचालय आदि की सुविधाएं होंगी। विशेष कप्लर से ट्रेन में झटका नहीं लगेगा। जबकि इसका किराया सामान्य (स्लीपर-जनरल) का होगा।