अकाल तख्त जत्थेदार की जिम्मेदारी संभालते ही ज्ञानी रघबीर सिंह ने सोमवार को पहली बैठक बुलाई। इस दौरान फैसला लिया गया है कि सिख समुदाय में हो रहीं डेस्टिनेशन वेडिंग्स पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
इस तरह के समारोह में दूल्हा-दुल्हन से लेकर मेहमान तक अपने शहर से दूर किसी यादगार जगह पर जाकर शादी करते हैं। अकाल तख्त का मानना है कि इससे मर्यादा का उल्लंघन हो रहा है।
बैठक में जत्थेदार के अलावा तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह, तख्त हरमंदर साहिब के ग्रंथी ज्ञानी गुरमिंदर सिंह और तख्त हजूर साहिब से ज्ञानी गुरदयाल सिंह मौजूद थे।
अकाल तख्त ने होटलों, रिसॉर्ट्स और अन्य स्थानों पर विवाह समारोहों के दौरान ‘सरूप’ (गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति) ले जाने पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने अमृतसर में पांच तख्तों के ‘सिंह साहिबान’ की बैठक के बाद इस निर्णय की घोषणा की।
सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘संगत की कुछ शिकायतों के अनुसार, कुछ लोग ‘मर्यादा’ का उल्लंघन करते हुए समुद्र तटों व रिसॉर्ट्स पर गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना कर ‘आनंद कारज’ (सिख विवाह समारोह) का आयोजन करते हैं।
पांच तख्तों के सिंह साहिबान ने समुद्र तटों, रिसॉर्ट्स और डेस्टिनेशन वेडिंग में ‘आनंद कारज’ करने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को स्थापित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।’
बैठक के दौरान तख्त ने बठिंडा में गुरुद्वारा प्रबंधन समिति को भी बर्खास्त कर दिया। यहां हाल ही में दो महिलाओं का समलैंगिक विवाह कराया गया था।
आदेश के मुताबिक, समिति के सदस्य और पदाधिकारी किसी भी गुरुद्वारा समिति का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। साथ ही शादी में शामिल करीब 4 लोगों को भी ब्लैक लिस्ट किया गया है।