भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने रविवार को भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 (ADITYA-L1) को लेकर बड़ी खुशखबरी दी है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान जनवरी के मध्य तक अपने डेस्टिनेशन पॉइंट लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) पर पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि यह यान बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है।
इसरो चीफ ने यह भी बताया कि गगनयान की पहली टेस्टिंग उड़ान 21 अक्टूबर को होगी।
डी1 के बाद इसरो जनवरी तक तीन से चार और लॉन्चिंग करेगा।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने रविवार को तमिलनाडु के मदुरै में संवाददाताओं से आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी खबर दी। उन्होंने कहा, “यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है… वर्तमान में, पृथ्वी से L1 बिंदु तक यात्रा करने में लगभग 110 दिन लगते हैं। इसलिए जनवरी के मध्य तक, यह L1 बिंदु तक पहुंच जाएगा। फिर उस बिंदु पर, हम लैग्रेंज पॉइंट सम्मिलन करेंगे। इसे हेलो ऑर्बिट कहा जाता है। यह एक बड़ी कक्षा है। इसलिए यह जनवरी के मध्य तक वहां होगा”।
गौरतलब है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, इसरो ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश का पहला सौर मिशन – आदित्य-एल1 लॉन्च किया था। यह सूर्य का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले गया है, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे।
आदित्य-एल1 मिशन कब पूरा
आदित्य-एल1 को लैग्रेंजियन पॉइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है। चार महीने के समय में यह दूरी तय करने की उम्मीद है। आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य की ओर स्थापित होगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1 प्रतिशत है। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। इसरो ने कहा था कि आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब आएगा।
गगनयान मिशन
इसके अलावा इसरो चीफ ने ‘गगनयान’ मिशन के बारे में भी बात की। सोमनाथ ने कहा, “परीक्षण वाहन-डी1 मिशन 21 अक्टूबर के लिए निर्धारित है। यह गगनयान कार्यक्रम है। गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करते हुए परीक्षण की आवश्यकता है। गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रणाली है। यदि रॉकेट को कुछ भी होता है, तो यह चालक दल को विस्फोटित रॉकेट से कम से कम दो किमी दूर ले जाकर बचाता है। इसलिए यह परीक्षण उड़ान की एक स्थिति में चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अहम है।”
चार महीने में कम से कम 3 लॉन्चिंग
उन्होंने कहा, “हर महीने हम कम से कम एक प्रक्षेपण करेंगे। इस परीक्षण वाहन प्रक्षेपण के बाद, हमारे पास जीएसएलवी है। फिर हमारे पास एसएसएलवी है। फिर उसके बाद गगनयान मानवरहित मिशन लॉन्च किया जाएगा। बीच में एक पीएसएलवी प्रक्षेपण भी होगा। अगले साल जनवरी से पहले हम कम से कम 4-5 लॉन्च देखेंगे”।
इसरो के अनुसार, गगनयान मिशन में तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करने और समुद्र में सफल लैंडिंग कर पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।