कनाडा मुद्दे पर कन्फ्यूजन में अमेरिका, बार-बार बदल रहा बयान; जानें अब क्या कहा…

कनाडा को लेकर अमेरिका की स्टैंड अभी तक साफ नहीं हो सका है।

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के द्वारा सिख अलगाववादी नेता और आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप पर बार-बार बयान बदल रहा है।

ग्लोबल एंगेजमेंट सेंटर में अमेरिका के विशेष दूत और समन्वयक जेम्स रुबिन ने कहा कि यह पेचीदा विषय है।

बीके 5 अक्टूबर को एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमेरिकी विशेष दूत ने कहा, “यह एक पेचीदा विषय है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि हम कनाडा की जांच का समर्थन करते हैं। हम चाहते हैं कि हर कोई मदद करे। भारत सरकार भी जांच में मदद करे। हम सभी से सहयोग करने का आग्रह करेंगे।”

विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, “मैंने कनाडा-भारत के मुद्दे का कोई विशेष सबूत नहीं देखा है, लेकिन मुझे पता है कि चीन ने कनाडा के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने का एक बड़ा प्रयास किया है।

यह विडंबनापूर्ण है। आपको याद होगा दशकों से चीन कह रहा था कि कोई भी उसके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करे। जब सूचना हेरफेर की बात आती है तो कनाडा की राजनीति में हस्तक्षेप की बात आती है।

जब दक्षिण चीन सागर की बात आती है तो अचानक चीनी सरकार के लिए संप्रभुता इतनी महत्वपूर्ण नहीं रह जाती है।” विदेश विभाग के प्रवक्ता एक रिपोर्ट पेश कर रहे थे जिसमें दिखाया गया था कि चीन कैसे वैश्विक सूचनाओं को विकृत करने की कोशिश कर रहा है।

आपको बता दें कि विवाद के बीच भारत ने कनाडा के लिए वीजा देने की प्रक्रिया को निलंबित कर दिया है। साथ ही आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का हवाला देते हुए भारत में कनाडाई राजनयिक उपस्थिति में कमी की मांग की है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “यहां राजनयिकों की बहुत अधिक उपस्थिति या हमारे आंतरिक मामलों में उनके निरंतर हस्तक्षेप को देखते हुए हमने अपनी संबंधित राजनयिक उपस्थिति में समानता की मांग की है।” उन्होंने कहा, “यह देखते हुए कि कनाडाई राजनयिक उपस्थिति अधिक है, हम मानेंगे कि इसमें कमी होगी।”

यह पूछे जाने पर कि क्या कनाडाई राजनयिकों की संख्या में कमी के परिणामस्वरूप भारत में कनाडाई उच्चायोग द्वारा जारी किए जाने वाले वीजा की संख्या में कमी आ सकती है, बागची ने कहा, “यह कनाडाई पक्ष पर निर्भर है कि वे उच्चायोग में किसे नियुक्त करना चाहते हैं। हमारी चिंताएं राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने से संबंधित हैं।”

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