रायपुर। छत्तीसगढ़ के विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 11 में संभावित प्रत्याशी के रूप में बाहरी(लैलूंगा विधानसभा) रामकुमार टोप्पो का नाम सामने आने से स्वयं समाज सहित विभिन्न संगठनों द्वारा विरोधस्वरूप राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, राज्य प्रभारी ओम माथुर को लगातार पत्र प्रेषित किया जा रहा है। अपने निवेदन पत्र में लोगों ने दो दशकों से बाहरी प्रत्याशी के विधायक निर्वाचित होने के बाद घोर निराशा व निष्क्रिय रहने के हवाले से इस घोर आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थानीय किसी को भी प्रत्याशी बनाए जाने की मांग की गई। साथ ही इस बार बाहरी प्रत्याशी को टिकट दिए जाने पर हार के परिणाम आने को भी अवगत कराया गया है।
विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही अब राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ने लग गई हैं। सीतापुर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक11 में लोग बाहरी प्रत्याशी का विरोध करने लगे हैं। इसको लेकर आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने सीतापुर विधानसभा सीट पर भाजपा दोनों ही पार्टियों से स्थानीय प्रत्याशी बनाने की मांग की गई है।
स्थानीय विभिन्न संगठनों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रभारी के समक्ष एक राय होकर बाहरी व्यक्ति को टिकिट देने का विरोध किया गया। इस दौरान आस पास के आधा दर्जनो गांवों से आए लोगों ने नारेबाजी कर प्रदर्शन भी किया।
भाजपा में संभावित लैलूंगा विधानसभा से प्रत्याशी बनाने की हो रही चर्चा
आगामी विधानसभा चुनावों के सरगर्मियां तेज होते ही विधान सभा क्षेत्र में भाजपा से बाहरी व्यक्ति को टिकिट देने को लेकर विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। भाजपा से संभावित प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो बाहरी उम्मीदवार हैं। जिसको लेकर भाजपा में विधानसभा क्षेत्र के लोग विरोध कर रहे हैं।
लोगों ने साफ कहा कि भाजपा बाहरी प्रत्याशी खड़ा करती हैं तो वे मजबूरन स्थानीय व्यक्ति (विधानसभा क्षेत्र का) खड़ा करेंगे। उसे जिताने का भी पूरा प्रयास करेंगे। ग्रामीणों ने कहा कि बाहरी प्रत्याशी जीतकर जाने के बाद वह क्षेत्र में कम ही आते हैं। इससे क्षेत्र का विकास कम होता है। ग्रामीणों ने कहा कि भाजपा से बाहरी प्रत्याशी आते हैं तो उनका बहिष्कार किया जाएगा। आगामी विधानसभा से पहले सभी पार्टियों के पदाधिकारियों से मिलकर हमारी भावनाओं से अवगत कराया जाएगा। इसको लेकर एक समिति का भी गठन किया गया है। भाजपा के बड़े नेताओं से स्थानीय नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग कर रही हैं।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि सीतापुर विधानसभा उन विधानसभाओं में से एक है जहां धर्मांतरण जोरों पर हुआ। आदिवासी (उरांव) समाज के ज्यादातर लोग क्रिश्चियन धर्म को मानते हैं। यहीं वोटर किसी भी प्रत्याशी की जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इस वजह से हिन्दुत्व का कार्ड भी कुछ खास काम नहीं आता है। इसके अलावा यहां कंवर और गोंड समाज के लोग भी एकजुट होकर मतदान करते हैं। यही वो तीन समाज है, जो चुनाव का परिणाम तय करते हैं।