ओबीसी क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा में संशोधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सितंब 2017 में आखिरी बार इसमें इजाफा किया गया था।
पहला कहा गया कि सरकार इस महीने आय सीमा में संसोधन कर सकती है, लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि सरकार आय सीमा को 8 लाख रुपये से बढ़ाने को लेकर अनिच्छुक है।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय में आय सीमा बढ़ाने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है। आपको बता दें कि 8 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले ओबीसी परिवार को क्रीमी लेयर माना जाता है।
उन्हें सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण के दायरे से बाहर कर दिया जाता है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ऐसा मान रही है कि 8 लाख रुपये की आमदनी एक बड़ी सीमा है। इसे और बढ़ाने से नाराजगी हो सकती है।
सामान्य वर्ग के लिए ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए भी आय सीमा 8 लाख रुपये तय की गई है। यदि इसे ओबीसी के लिए बढ़ाया जाता है, तो ईडब्ल्यूएस वर्गों की तरफ से भी मांग उठ सकती है।
ओबीसी के लिए आय संशोधन क्रीमी लेयर के लिए अपनाए गए आय मानदंड को फिर से परिभाषित करने के सरकारी प्रस्ताव के कारण उत्पन्न नीतिगत गड़बड़ी में फंस गया है। मंडल आयोग 1993 की रिपोर्ट में कहा गया था कि आय में वेतन और कृषि आय शामिल नहीं है। वहीं, सरकार चाहती है कि आय की गणना में वेतन को शामिल किया जाए।
जनवरी 2022 के एक ऐतिहासिक मामले में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपनाए गए रुख के कारण इस लंबित प्रस्ताव ने अब अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। सरकार ने तुलनात्मक रूप से ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए क्रीमी लेयर मानदंडों का परीक्षण किया था। केंद्र ने कहा था कि पिछड़ों के उदार मानदंड अपनाए गए थे, क्योंकि उनकी आय में वेतन शामिल नहीं था।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार अब ओबीसी की आय में वेतन को शामिल नहीं कर सकती है। अगर ऐसा करती है तो अदालत की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में केंद्र के पास मौजूदा मानदंडों के अनुसार ओबीसी के लिए आय सीमा को संशोधित करने का एकमात्र विकल्प बचता है।
सूत्रों का कहना है कि सामाजिक न्याय मंत्रालय में इसमें बढ़ोतरी को लेकर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। फरवरी 2020 में सामाजिक न्याय मंत्रालय ने कैबिनेट की मंजूरी के लिए नोट पेश किया, जिसमें सिफारिश की गई कि वेतन को आय का हिस्सा बनाया जाए और आय की सीमा 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये की जाए।