भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष किरण कुमार का कहना है कि 2019 में चंद्रयान -2 मिशन की विफलता का चंद्रयान-3 की सफलता में बड़ा योगदान है।
उस वक्त सिस्टम में गड़बड़ी से मिली सीख ने चंद्रयान -3 मिशन को सफल बनाया। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर (आईआईपीएचजी) के सातवें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
चंद्रयान मिशन को डॉ. विक्रम साराभाई के दृष्टिकोण से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि साराभाई ने ऐसे वक्त में एक अलग समस्या के समाधान पर विचार करना चुना जब अमेरिका और रूस अंतरिक्ष में अपनी ताकत आजमा रहे थे।
एसएस किरण कुमार ने साल 2015 से 2018 तक इसरो की कमान अपने कंधों पर संभाले रखी। चंद्रयान-3 की सफलता पर किरण कुमार कहते हैं कि चंद्रयान-2 के वक्त सिस्टम की गड़बड़ी हमे चंद्रयान-3 की सफलता तक ले गई।
2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान विफलता से मिली सीख ने ही हमे इस बार सक्सेस दी। वर्तमान में अंतरिक्ष आयोग के सदस्य किरण कुमार कहते हैं कि यह विक्रम साराभाई का सकारात्मक दृष्टिकोण ही था, जिसकी बदौलत हम चांद पर यान भेज सके।
“उस समय, वह (डॉ. साराभाई) सोच रहे थे कि अंतरिक्ष में जाने की यह तकनीकी क्षमता हमारे देश में कैसे बदलाव ला सकती है… भारत ने यह भी दिखाया कि वह स्वदेशी संसाधनों और इस देश के लोगों के साथ सबसे उन्नत तकनीक विकसित कर सकता है। ऐसा करने में सक्षम है।”
चंद्र और मंगल मिशन में जो हुआ वो उदाहरण
आईआईपीएचजी के दीक्षांत समारोह में किरण कुमार ने कहा कि “चंद्रयान मिशन और मंगल मिशन में जो हुआ वह यह दिखाने के लिए एक उदाहरण है कि अगर सही अवसर दिया जाए, तो भारत दुनिया को यह दिखाने में सक्षम है कि बाधाएं पार करना बड़ी बात नहीं हैं।
हम कई मायनों में वह कर सकते हैं जो दूसरों ने हासिल नहीं किया है। चंद्रयान-3 की सफलता यह बयां करती है। यह एक उदाहरण है कि आप अपनी असफलताओं को सफलता में कैसे बदल सकते हैं? 2019 में, हम चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बहुत करीब आ गए थे, (लेकिन) हमने जो सिस्टम विकसित किया था वह अपर्याप्त था और हम लगभग 200 किमी प्रति घंटे की गति से चांद पर गिरे और दुर्घटनाग्रस्त हो गए…लेकिन इस बार, आपने स्वयं देखा कि भारत ने क्या हासिल किया? यह दर्शाता है कि यदि आप अपना मन बना लें, तो आप पर्याप्त समाधान ढूंढ लेते हैं और यदि आप उन समाधानों को व्यवहार में लाते हैं, तो आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं।”
जबरदस्त क्षमताओं के बूते भारत को देख रही दुनिया
इस बीच, कोरोनोवायरस के खिलाफ भारत के स्वदेशी टीके की सराहना करते हुए कुमार ने कहा, “आज दुनिया अपनी जबरदस्त क्षमताओं के कारण भारत को देख रही है। यह केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ही नहीं है…जिस तरह से भारत महामारी से निपटा…उसने दुनिया को दिखाया कि हमारे पास क्षमताओं की कमी नहीं है। नई क्षमता का लाभ अपने लिए, या किसी समूह या राष्ट्र के लिए कैसे उठाया जा सकता है? भारत ने अपने स्वयं के वैक्सीन का निर्माण और विकास करके अपने नागरिकों के लिए समस्या का समाधान किया और न केवल अपने लिए समस्या हल की बल्कि इसे अन्य देशों के लिए भी उपलब्ध कराया। कई बार भारत का कई तरह से मजाक उड़ाया जाता था। लेकिन, आज भारत ने जो डिजिटल क्षमता प्रदर्शित की है, वह न केवल बड़े पैमाने पर जनता तक पहुंची है, बल्कि उस तकनीकी समाधान का उपयोग दुनिया में मौजूद समस्याओं का समाधान खोजने के लिए भी किया जा सकता है।”
आईआईपीएचजी में शनिवार को दीक्षांत समारोह के दौरान संस्थान के 147 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। उपस्थित लोगों में निदेशक डॉ. दीपक सक्सेना, आईआईपीएचजी के पूर्व निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर, इसरो में सूचना प्रणाली और प्रबंधन निदेशालय के निदेशक राजीव चेतवानी और गुजरात सरकार के अतिरिक्त विकास आयुक्त गौरव दहिया शामिल हुए।