देश के बड़े हिस्से से मॉनसून विदा हो चुका है।
सितंबर के आखिरी दिन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेशष दिल्ली, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से मॉनसून की विदाई हो गई।
अल नीनो इफेक्ट के बाद भी इस बार 94 फीसदी बारिश दर्ज की गई।
आम तौर पर अल नीनों की वजह से 25 फीसदी तक कम बारिश हो जाती है हालांकि इस बार 6 फीसदी ही कम बारिश हुई। हालांकि अल नीनो का प्रभाव अभी खत्म नहीं होने वाला है।
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार ठंड में भी कटौती होने वाली है।
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अल नीनो इस बार सर्दियों तक बना रहेगा। दिसंबर से मार्च 2024 तक अल नीनो की संभावना 95 फीसदी तक ज्यादा है।
ऐसे में इस बार सर्दियों के दिन कम हो सकते हैं। वहीं सर्द हवाएं भी कम चल सकती हैं। सर्दी कम होने से गरमी के दिनों में बढ़ोतरी भी देखी जा सकती है।
डॉ. महापात्र ने कहा कि इस बार अल नीनो का असर कम ही रहा है। आम तौर पर अल नीनो की वजह से बारिश में 10 से 25 फीसदी की कमी आ जाती है और सूखा पड़ जाता है।
हालांकि ज्यादा गंभीर स्थिति नहीं बनी। इसके पीछे तीन मौसमी घटनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस बार इंडियन ओशन डायपोल, लो प्रेशर सिस्टम और मैडन जुलियन ओसिलेशन की वजह से बारिश में ज्यादा कमी नहीं आई।
मौसम विभाग का कहना है कि इस बार 30 सितंबर तक 820 मिमी बारिश दर्ज की गई जो कि आम तौर पर 868 मिमी होती है।
मध्य भारत में सामान्य बारिश हुई है। वहीं पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बारिश में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई। इस क्षेत्र में 18 फीसदी कम बारिश हुई। उत्तर पश्चिम में सामान्य से 1 फीसदी ज्यादा और दक्षिण भारत में 8 फीसदी कम वर्षा दर्ज की गई।