मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में स्थित धर्मशास्त्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (Dharmashastra National Law University) ने पढ़ने वाली छात्राओं के लिए एक बड़ी गुड न्यूज है।
छात्राओं को अब पीरियड्स के दौरान कॉलेज नहीं आना होगा। एक अधिकारी ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी दी देते हुए बताया कि यूनिवर्सिटी ने पिछले महीने शुरू हुए 5 महीने के लंबे सेमेस्टर से छात्राओं के लिए मासिक धर्म के विशेष अवकाश की शुरुआत की है।
लॉ यूनिवर्सिटी के प्रभारी कुलपति डॉ. शैलेश एन हाडली ने बताया कि स्टूडेंट बार एसोसिएशन समेत कई छात्राएं पिछले साल से मासिक धर्म अवकाश की मांग कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर, स्डूटेंड वेलफेयर डीन सहित हमने इस सेमेस्टर से (मासिक धर्म) छुट्टी देने का फैसला किया है।
ये छुट्टियां छात्रों को प्रत्येक सेमेस्टर में सांस्कृतिक और अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए दी जाने वाली 6 छुट्टियों का हिस्सा होंगी। छात्राएं ये छुट्टियां ले सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम छात्राओं के जीवन में बेहतरी लाने के प्रयासों का हिस्सा है।
बता दें कि देश में पिछले काफी समय से कामकाजी महिलाओं और छात्राओं के लिए स्पेशल पीरियड लीव दिए जाने की मांग उठ रही है। हालांकि, अब तक सरकारों द्वारा इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।
गौरतलब है कि इस साल फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर सभी राज्य सरकारों को छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान छुट्टी के नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई थी, लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत क्षेत्र के अंतर्गत आता है इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
मासिक धर्म अवकाश के प्रावधान पर विचार नहीं : केंद्र सरकार
इससे पहले केंद्र सरकार ने भी सभी कार्यस्थलों पर अनिवार्य मासिक धर्म अवकाश का प्रावधान करने पर विचार नहीं किए जाने की बात कही थी। स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार लोकसभा में लिखित उत्तर में कहा था कि मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक घटना है।
केवल कुछ ही महिलाएं/लड़कियां गंभीर कष्ट या इस तरह की शिकायतों से पीड़ित हैं। इनमें से अधिकांश मामलों में दवा का प्रयोग फायदेमंद है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार 10-19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए योजना लागू कर रही है।
इस योजना को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर राज्य कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा समर्थित किया गया है।