मणिपुर में हिंसा रोकने को बड़ा बदलाव करने जा रही सरकार, अलग-अलग फोर्स को सौंपे जाएंगे जिले…

मणिपुर में जातीय हिंसा को चार महीने होने वाले हैं लेकिन अभी पूरी तरह शांति बहाल नहीं हो पाई है।

दो छात्रों के शवों की तस्वीर सामने आने के बाद राज्य में एक बार फिर उबाल है। बुधवार को यहां एक भाजपा दफ्तर में आग लगा दी गई।

मणिपुर सरकार ने राज्य में शांति के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करने का फैसला किया है।

सुरक्षाबलों की जिम्मेदारी बढ़ाने और आपसी अनबन से निपटने के लिए सरकार ने ‘वन फोर्स, वन डिस्ट्रिक्ट’ की नीति लागू करने का फैसला किया है। 

सराकर एक जिले की जिम्मेदारी एक अर्द्धसैनिक बल को देगी। इससे यह तय करने में आसानी होगी कि कौन कितनी जल्दी शांति बहाल करता है और अपनी जिम्मेदारी किस तरह निभाता है।

इसके अलावा एक दूसरे पर आरोप और आपसी अनबन से भी बचा जा सकेगा। एक अधिकारी ने बताया कि जल्द ही सिक्योरिटी अडवाइजर इसके लिए सुरक्षाबलों को आदेश दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के पास ज्यादा जवान हैं इसलिए उन्हें ज्यादा जिलों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इसके अलावा एक जिले में जो कुछ भी होगा उसके लिए उस सुरक्षाबल की जिम्मेदारी होगी। 

अधिकारी ने कहा, सभी सुरक्षाबलों की फोर्स पुलिस के साथ मिलकर काम करेगी। राज्य में हिंसा में अब तक 175 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

यहां अलग-अलग सुरक्षाबलों की 200 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। इनमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआईएसएफ शामिल हैं।

बता दें कि मणिपुर में इंटरनेट सेवा एक बार फिर बंद है। तीन दिनों में ही इंफाल में इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ गई और कर्फ्यू लगाना प ड़ गया। 

जुलाई में लापता हुए दो छात्रों के शव का वीडियो आने के बाद बुधवार को थौबल जिले में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने यहां भाजपा कार्यालय को भी आग लगा दी।

दोनों छात्रों की हत्या की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सैंपी गई है। यहां प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़प हुई जिसमें कई लोग घायल हो गए। 

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