RBI यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और भारत सरकार के बीच कभी रिश्ते इतने तल्ख हो चुके थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की तुलना ‘सांप’ तक से कर दी थी।
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की नई किताब ‘We Also Make Policy’ में इस बात का दावा किया गया है। किताब में उन्होंने पटेल की कई नीतियों पर भी सवाल उठाए और कहा है कि पूर्व गवर्नर खुद को ‘सबसे आजाद’ दिखाने की कोशिश कर रहे थे।
एक मीडिया रिपोर्ट में किताब के अंशों के हवाले से बताया गया कि आरबीआई और सरकार के बीच साल 2018 में तनाव ज्यादा बढ़ गया था।
मार्च 2018 में पटेल ने सरकार पर राष्ट्रीयकृत बैंकों पर अधिकार नहीं छोड़ने के आरोप लगाए थे। उनका कहना था कि इसके चलते निजी क्षेत्र के बैंक के मुकाबले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर RBI का नियामक अधिकार सीमित रह गया था।
अरुण जेटली भी हो गए थे नाराज
गर्ग के मुताबिक, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली भी पटेल के काम करने के तरीके से पूरी तरह खुश नहीं थे।
जानकारी दी गई है कि 14 सितंबर 2018 को पीएम मोदी की तरफ से एक बैठक बुलाई गई थी, जहां पटेल ने कुछ समाधान पेश किए। इनमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टेक्स को खत्म करने, विनिवेश को बढ़ाने जैसी बातें शामिल थीं।
अब गर्ग का दावा है कि जेटली इन सुझावों से काफी खफा हो गए थे और इन्हें पूरी तरह अव्यवहारिक तक बता दिया था। किताब में बताया गया है कि जेटली के साथ पटेल की बातचीत के रास्ते भी बंद हो गए थे और सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा के जरिए ही चर्चा हो पा रही थी। खास बात है कि पीएम मोदी ने पटेल को गवर्नर के तौर पर चुना था।
मोदी किस बात से थे नाराज
गर्ग लिखते हैं, ‘उन्होंने (पीएम मोदी) ने पाया कि आरबीआई की स्थिति एकदम ठीक नहीं है। साथ ही वह आर्थिक स्थिति को संभालने और सरकार के साथ मतभेद दूर करने के लिए भी कुछ नहीं करना चाह रही।’ तब नाराज हुए पीएम मोदी ने पटेल फटकार लगाई और LTCG टैक्स वापस लेने के प्रस्ताव पर भी आड़े हाथों लिया।
पूर्व वित्त सचिव लिखते हैं कि पीएम ने RBI के रिजर्व को इस्तेमाल में नहीं लाने पर पटेल की तुलना, ‘उस सांप से कर दी थी, जो रुपयों के ढेर पर बैठा है।’
पटेल पर भी लगाए आरोप
किताब में गर्ग ने पटेल पर भी कथित तौर पर सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं। पूर्व वित्त सचिव का कहना है कि पटेल चाहते थे कि बॉन्ड सिर्फ RBI की तरफ से और सिर्फ डिजिटल तरीके से ही जारी किए जाएं।