जी-20 घोषणापत्र पर सर्वसम्मति बनाना आसान काम नहीं था। कई देशों को इसमें असफलता हासिल हुई है।
हालांकि, भारत ने यह कर दिखाया। भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत का कहना है कि यूक्रेन में जारी युद्ध को लेकर जी20 नेताओं को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए लगभग 200 घंटे की नॉन-स्टॉप बातचीत की आवश्यकता थी।
भारत की इस उपलब्धि की कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सराहना की है। उन्होंने इसे गौरवशाली क्षण करार दिया है।
इसके लिए भारत द्वारा चीन, रूस और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ बाचतीत का लंबा दौर चला। भारत को इस मुद्दे पर ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया की तरफ से मजबूत समर्थन मिला।
इससे आम सहमति हासिल करने में मदद मिली। रिपोर्टों के मुताबिक, भारत ने शुक्रवार रात जी20 सदस्यों को अंतिम मसौदा वितरित करते हुए कहा कि यदि वे इससे सहमत नहीं हैं तो कोई घोषणा नहीं की जाएगी।
थरूर ने क्या कहा?
अमिताभ कांत ने कहा कि यह घोषणा कई दौर की बातचीत का परिणाम थी और इस पर सहमति शुक्रवार देर रात ही बनी थी। इसके लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमिताभ कांत की सराहना की है। उन्होंने कहा, ”बहुत बढ़िया अमिताभ कांत! ऐसा लगता है कि जब आपने आईएएस का चयन किया तो आईएफएस ने एक प्रतिष्ठित राजनयिक खो दिया!” थरूर ने इसे जी20 में भारत के लिए गर्व का क्षण भी बताया है।
सूत्रों ने बताया है कि यूरोपीय संघ द्वारा इस मुद्दे पर सहमति जताने के बाद भारत चीन को यूक्रेन संघर्ष से संबंधित इस मुद्दे पर सहमत होने के लिए मनाने में अच्छी तरह कामयाब रहा। शनिवार को शिखर सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि जी20 नेताओं की घोषणा को सर्वसम्मति से अपनाया गया है।
अंतरराष्ट्रीय मसलों पर सहमति बनी
जी-20 देशों के नेताओं की शनिवार को हुई पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मसलों पर सहमति बनी।
इनमें दुनिया के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमता के इस्तेमाल से लेकर आतंकवाद का कड़ाई से मुकाबला करने के मुद्दे शामिल हैं।
बैठक के बाद जारी दिल्ली घोषणा-पत्र में भ्रष्टाचार से निपटने, महिला सशक्तीकरण, दुनिया में आर्थिक मजबूती और मुक्त व्यापार को लेकर भी प्रतिबद्धता जताई गई है।
आतंकवाद, शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा
जी-20 देशों के दिल्ली घोषणा-पत्र में किसी देश का नाम लिए बिना कहा गया है कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।
इस तरह की सभी गतिविधियां आपराधिक व अनुचित हैं और इनसे कड़ाई से निपटना होगा।
आतंकियों को पनाह देने वालों पर भी चोट करने पर सहमति जताई है। साथ ही कहा कि आतंकवादी समूहों को वित्तीय मदद, आतंकियों की भर्ती और भौतिक या राजनीतिक समर्थन से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के प्रयासों को मजबूत किया जाएगा।