पिछले कुछ दिनों से कोरोना को लेकर खबरें आने लगी हैं।
इनके मुताबिक कोरोना का एक नया वैरिएंट बीए.2.86 दुनिया के कुछ देशों में पाया गया है। अनौपचारिक तौर पर इसे पिरोला नाम दिया गया है।
हालांकि रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इसको लेकर कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।
लेकिन इसके बावजूद कोरोना के इस वैरिएंट को लेकर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का यह वैरिएंट में एक्सबीबी.1.5 वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा तेजी से म्यूटेट होने वाला है।
एक्सबीबी.1.5, ओमिक्रॉन का एक वैरिएंट था जिसके चलते अमेरिका में बहुत ज्यादा केसेज देखने को मिले थे।
अब तक इन देशों में मिले केसेज
अभी तक पिरोला के केसेज अमेरिका, ब्रिटेन समेत कुछ अन्य देशों में देखने को मिले हैं। येल मेडिसिन इंफेक्शस डिजीज स्पेशलिस्ट स्कॉट रॉबर्ट्स ने बताया कि म्यूटेशन में तेजी चिंता का विषय है।
उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि यह कोरोना वायरस के शुरुआती स्वरूपों में से एक डेल्टा और ओमीक्रॉन के बीच अलग-अलग म्यूटेशन की तरह था।
उन्होंने कहा कि दूसरी चिंता की बात यह है कि यह स्ट्रेन करीब छह देशों में सामने आया है। इससे पता चलता है कि इंटरनेशनल लेवल पर कुछ हद तक संक्रमण फैल रहा है जिसका हम पता नहीं लगा रहे हैं।
क्यों है पिरोला सबसे अलग
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन से बात करते हुए, येल सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक सर्विलांस इनिशिएटिव का नेतृत्व करने वाली पोस्टडॉक्टोरल एसोसिएट ऐनी हान ने कहा कि यह एक्सबीबी.1.9 के रूप में जाने जाने वाले ओमीक्रॉन सब वैरिएंट की तुलना में बहुत अधिक इंट्रेस्टिंग है।
ओमिक्रॉन वैरिएंट शुरू में तेजी से फैल गया लेकिन इसने आबादी को उस तरह से प्रभावित नहीं किया। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह इजरायल और डेनमार्क में लैब के बाद इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका में लैब में पाया गया है।
फॉर्च्यून के अनुसार, स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता बेन मुर्रेल द्वारा शुक्रवार शाम को ट्विटर पर जारी किए गए नए आंकड़ों से पता चला है कि पिछले सप्ताह लिए गए ब्लड सैंपल्स ने बीए.2.86 को बेअसर करने के मामले में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया।