तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुंबई में हाल ही में संपन्न हुई इंडिया गठबंधन की बैठक के दौरान लोकसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र को शीघ्र अंतिम रूप देने का मुद्दा उठाया।
इस मामले से परिचित नेताओं ने यह भी कहा कि वह सीट बंटवारे सहित कुछ अन्य मुद्दों पर धीमी रफ्तार पर नाराजगी भी व्यक्ती की।
ममता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भी शामिल नहीं हुए। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि विपक्षी गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है।
हालांकि, टीएमसी का कहना है कि पहले से तय एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दोनों इसमें शामिल नहीं हुए।
इस सियासी मामले से परिचित लोगों ने कहा कि बैठक में ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि लोकसभा चुनावों के लिए एक घोषणापत्र जल्दी से तैयार किया जाए ताकि इसे लोगों तक पहुंचाया जा सके, लेकिन उनके प्रस्ताव को अन्य दलों से ज्यादा समर्थन नहीं मिला।
बाद में उन्होंने जोर देकर कहा कि एक छोटा एजेंडा तैयार किया जाए ताकि चुनाव अभियान 2 अक्टूबर को शुरू किया जा सके, जो महात्मा गांधी की जयंती है। एक नेता ने कहा कि टीएमसी यह भी चाहती है कि सीट बंटवारे पर भी जल्द बातचीत हो।
शीर्ष नेताओं ने अच्छी तरह से संभाला मोर्चा
नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर दो वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि 28 पार्टियों के गठबंधन में शामिल 15 से अधिक छोटे संगठनों को साथ रखने के लिए बड़ी पार्टियों के द्वारा चतुराई से काम लेना जरूरी होगा। उनमें से एक ने कहा, ”शीर्ष नेताओं ने समन्वय को अच्छी तरह से संभाला है। अब सुचारू कामकाज सुनिश्चित करना पैनल के सदस्यों पर निर्भर है।”
आपको बता दें कि विपक्षी गठबंधन ने पांच पैनल बनाए हैं, जिनमें एक चुनाव अभियान समिति और एक सोशल मीडिया के लिए एक कार्य समूह शामिल है। नेताओं ने कहा कि उनके अगले सप्ताह से काम शुरू करने की संभावना है। सीटों पर बातचीत भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
सीट शेयरिंग पर बात जरूरी
नेताओं ने कहा कि विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था पर ध्यान देना होगा, क्योंकि 2024 के चुनाव में गठबंधन की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे पर बातचीत के दो पहलू होंगे। पहला आम उम्मीदवारों की संख्या को अधिकतम करना और जितना संभव हो उतने राज्यों में मैत्रीपूर्ण मुकाबले से बचने की कोशिश।
कई राज्यों में गठबंधन पर पेंच
पश्चिम बंगाल, पंजाब और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली सहित जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में इंडिया गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों के बीच गहन बातचीत हो सकती है। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा है कि वह सत्तारूढ़ टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं कर सकती है।
दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस पार्टी की प्रदेश इकाई आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन के बजाय अपने दम पर संसदीय चुनाव लड़ने का दबाव बना रही है। एक गैर-कांग्रेसी नेता ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में कट्टर प्रतिद्वंद्वी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी वर्षों की प्रतिद्वंद्विता के बाद एक साथ आना मुश्किल हो सकता है।”
कांग्रेस पर अन्य दलों को समायोजित करने का भी दबाव है। बेंगलुरु और मुंबई की बैठकों के दौरान लालू प्रसाद यादव, डी राजा और उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस से उदारता दिखाने का आग्रह किया है। कई विपक्षी नेताओं के मुताबिक, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन को आश्वासन दिया है कि कांग्रेस सभी को साथ लेकर चलने की पूरी कोशिश करेगी।