चांद की सतह पर पहुंचने में भारत के चंद्रयान-3 और रूस के लूना-25 के बीच होड़ थी।
चंद्रयान-3 से बाद में लॉन्च किया लूना-25 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया। अब अमेरिका की नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने उस जगह का पता लगाने का दावा किया है, जहां लूना-25 क्रैश हुआ था।
नासा ने गुरुवार को घोषणा की कि उसके लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्ष यान ने एक गड्ढा देखा है, जो रूस के लूनर मिशन लूना-25 का मलबा हो सकता है।
रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 21 अगस्त को लूना-25 के क्रैश हो जाने की खबर दी थी। नासा में एलआरओ टीमों ने अगले ही दिन साइट की तस्वीरें खींचने के लिए अंतरिक्ष यान को आदेश भेजे।
क्रैश से पहले ली गई तस्वीरों और बाद में ली गई तस्वीरों की तुलना करने पर उन्हें एक छोटा सा नया गड्ढा दिखाई दे रहा है। नासा ने दावा किया है कि यह संभवत: लूना-25 का मलबा हो सकता है।
बन गया है गड्ढा
नासा की मानें तो यह गड्ढा लगभग 57.865 डिग्री दक्षिण अक्षांश और 61.360 डिग्री पूर्वी देशांतर पर लगभग 360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
इस खड़े गड्ढे की माप लगभग 10 मीटर है और यह बहुत बड़े पोंटेकुलेंट जी क्रेटर के भीतरी किनारे पर स्थित है। जिस प्वाइंट पर लूना-25 उतरने वाला था, यह गड्ढा वहां लगभग 400 किलोमीटर दूर है।
कैसे क्रैश हुआ लूना-25
लूना-25 के दुर्घटनाग्रस्त होने की सटीक परिस्थितियां अभी भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन रोस्कोस्मोस ने कहा कि लैंडिंग से पहले की कक्षा में जाने के दौरान अंतरिक्ष यान में जिस तरह की गति और बदलाव था, वह निर्धारित गति से काफी अलग था।
चंद्रमा के लिए लॉन्च किए गए प्रोजेक्ट्स की गति को नियंत्रित करना काफी ज्यादा चैलेंज भरा काम होता है। चंद्रयान-2 से सीख लेकर चंद्रयान-3 कछुए की गति की तहर धीरे-धीरे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सक्षम हो पाया।