पाकिस्तान के दिन इन दिनों ठीक नहीं चल रहे हैं।
अपने देश में सियासी और आर्थिक तौर पर पाकिस्तान फेल हो गया है। अब अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी उसकी कूटनीति कोई काम नहीं कर रही है।
इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान छह नए देशों को शामिल किया गया मगर पाकिस्तान के लिए अफसोस की बात है कि इसमें उसका नाम नहीं है।
पाकिस्तान के बदले ब्रिक्स में ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इथियोपिया, अर्जेंटीना, और मिस्र को शामिल किया गया है। पाकिस्तान ने ब्रिक्स में शामिल होने की लिए खूब हाथ-पैर मारे, अपने दोस्त चीन के सामने भी गिड़गिड़ाया मगर यह सब उसके काम नहीं आया।
पाकिस्तान के अंदर खोखली हो रही उसकी सियासत का असर अब देश के बाहर भी पड़ने लगा है। मगर अपनी फेल होती कूटनीति पर शर्मिंदा होने के बजाए पाकिस्तान अलग ही सफाई दे रहा है। पाकिस्तान का अब कहना है कि उसने ब्रिक्स की सदस्यता नहीं मांगी थी।
पाकिस्तान की विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा कि पाकिस्तान ने ब्रिक्स देशों में शामिल होने का अनुरोध नहीं किया था।
बलूच ने कहा कि उनका देश हालिया घटनाक्रम की जांच करेगा और ब्रिक्स के साथ अपने भविष्य के जुड़ाव के बारे में निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि हमने जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स से संबंधित घटनाक्रम पर नजर रखी है।
हमने समावेशी बहुपक्षवाद के प्रति इसके खुलेपन को भी स्वीकार किया है। बलूच ने कहा कि पाकिस्तान ने पहले भी कई बार कहा है कि वह समावेशी बहुपक्षवाद का प्रबल समर्थक है।
छह नए देश हुए शामिल
बता दें ब्रिक्स देशों के नेताओं ने गुरुवार को अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को समूह के नए पूर्णकालिक सदस्यों के रूप में शामिल करने का फैसला किया, जिससे एक लंबी प्रक्रिया पर मुहर लग गई। इस फैसले की घोषणा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के साथ एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में की। इसे मोटे तौर पर पश्चिमी शक्तियों के जवाब के रूप में देखा जाता है।
रामफोसा ने घोषणा की कि नए सदस्य एक जनवरी, 2024 से ब्रिक्स का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि विस्तार प्रक्रिया के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानदंडों और प्रक्रियाओं को मजबूत करने के बाद नए सदस्यों के बारे में निर्णय पर सहमति बनी। रामफोसा ने जोहानिसबर्ग में समूह के शिखर सम्मेलन के अंत में कहा, ”ब्रिक्स विस्तार प्रक्रिया के पहले चरण पर हमारी आम सहमति है।” उन्होंने कहा, ”हमने अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को ब्रिक्स का पूर्ण सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करने का फैसला किया है।” छह देशों के प्रवेश के साथ, समूह में सदस्यों की कुल संख्या मौजूदा पांच से 11 तक पहुंच रही है। लगभग 40 देशों ने ब्रिक्स में शामिल होने में रुचि दिखाई थी, जिनमें से 23 ने औपचारिक रूप से सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
ब्रिक्स का गठन
ब्रिक्स का गठन सितंबर 2006 में हुआ था और इसमें मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत और चीन (ब्रिक) शामिल था। बाद में इसमें सितंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया गया जिसके बाद इसे ‘ब्रिक्स’ का नाम मिला। वहीं ब्रिक्स ने कहा कि वह बातचीत और कूटनीति के माध्यम से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से मध्यस्थता से संबंधित प्रस्तावों की सराहना करता है।
तीन दिवसीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक घोषणा में कहा गया कि समूह के नेताओं ने यूक्रेन और उसके आसपास संघर्ष के संबंध में अपने राष्ट्रीय रुख को याद किया। घोषणा में हालांकि यूक्रेन पर आक्रमण के लिये रूस की कोई आलोचना नहीं की गई।
भारत और ब्रिक्स समूह के चार अन्य सदस्यों ने सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में ‘व्यापक सुधार’ की मांग की, ताकि इसे और अधिक लोकतांत्रिक और कुशल बनाया जा सके जिससे वैश्विक चुनौतियों का पर्याप्त रूप से जवाब दिया जा सके और विकासशील देशों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। पांच देशों के समूह ने यहां 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन के बाद एक संयुक्त घोषणा में कहा, ”हम बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं जो शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक शर्तें हैं।”