चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होते ही इसरो ने इतिहास रच दिया। बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रयान चांद की सतह पर उतरा।
दक्षिण अफ्रीका दौरे पर पहुंचे पीएम मोदी भी वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम से जुड़े थे। सफलता मिलते ही इसरो कमांड सेंटर में मौजूद वैज्ञानिकों समेत तमाम लोगों ने खुशी जताई।
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लैंडिंग के तुरंत बाद संबोधित करते हुए सफलता मिलने की जानकारी दी। इसरो चीफ सोमनाथ ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ”हमने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता हसिल कर ली है। भारत चांद पर है।”
इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने इस सफलता के बाद यह भी कहा, ”चंद्रयान-3 की सफलता ने हमें भविष्य में और अधिक चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने का आत्मविश्वास प्रदान किया है। ”
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता इसरो नेतृत्व और वैज्ञानिकों की पीढ़ियों की मेहनत का नतीजा है।
उन्होंने कहा कि यह सफलता ‘बहुत बड़ी’ और ‘प्रोत्साहित करने वाली’ है। प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दक्षिण अफ्रीका से ऑनलाइन माध्यम से इस जटिल मिशन के मुकाम तक पहुंचने के गवाह बनने के लिए जुड़े थे और उन्होंने भी वैज्ञानिकों की कोशिश की प्रशंसा की।
मिशन परिचालन परिसर में इसरो टीम को संबोधित करते हुए सोमनाथ ने कहा, ”माननीय प्रधानमंत्री ने मुझे फोन कॉल किया और अपनी शुभकामनाएं आप सभी को और आपके परिवारों को इसरो में किए गए आपके शानदार कार्य के लिए दी हैं। चंद्रयान-3 और ऐसे अन्य मिशन में सहयोग देने के लिए मैं उनको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं। राष्ट्र के लिए हम जो प्रेरणादायक कार्य कर रहे हैं, उसे आगे बढ़ाने के लिए हमें प्रशंसा मिल रही है। ”
सोमनाथ ने मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना करने वाले सभी लोगों का और इसरो के पूर्व प्रमुख ए एस किरन कुमार समेत अन्य वैज्ञानिकों का भी आभार जताया।
उन्होंने कहा, ” वे बहुत मददगार रहे, वे उस टीम का हिस्सा थे जो वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास बढ़ाते थे। इससे वैज्ञानिक अपने काम की समीक्षा करते थे और सुनिश्चित करते थे कि कोई गलती न हो।”
इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और 26 किलोग्राम वजनी रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस लैंडर मॉड्यूल की ‘सॉफ्ट लैंडिग’ कराने में सफलता हासिल की। भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ। सोमनाथ ने रेखांकित किया कि यह इसरो नेतृत्व और वैज्ञानिकों की पीढ़ियों की मेहनत का नतीजा है।
उन्होंने कहा, ”यह वह यात्रा है जो चंद्रयान-1 से शुरू हुई थी, जो चंद्रयान-2 में भी जारी रही और चंद्रयान-2 अब भी काम कर रहा है और बहुत से संदेश भेज रहा है।”
सोमनाथ ने कहा, ” चंद्रयान-3 की सफलता का जश्न बनाने के साथ चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 बनाने वाली पूरी टीम के योगदान को याद किया जाना चाहिए और धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”यह प्रोत्साहित करने वाली प्रगति है और निश्चित तौर पर बहुत बड़ी है।”