हर गुजरते पल के साथ बढ़ती उम्मीदों और उत्साह के बीच भारत एक नया इतिहास रचने को तैयार है।
भारतीय अंतरक्षि अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन तय समय पर है और बुधवार की शाम चांद के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है।
चंद्रमा पर उतरने के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ऐतिहासिक करिश्मे को अंजाम दे चुके हैं।
लैंडर मॉड्यूल (विक्रम) की सॉफ्ट लैंडिंग का मतलब 6000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति को शून्य पर ले आना। इस दौरान विक्रम खुद को 90 डिग्री लंबवत स्थिति में चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
23 अगस्त को ही लैंडिंग क्यों
चंद्रमा पर 14 दिनों का दिन और 14 दिनों का रात होता है। अभी चंद्रमा पर रात है और 23 को सूर्योदय होगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान दोनों सोलर पैनल के इस्तेमाल से ऊर्जा प्राप्त कर सकेंगे।
लैंडर का अभी क्या हाल
लैंडर अभी चांद की कक्षा में क्षैतिज रूप से चक्कर लगा रहा है। उतरने से पहले इसे 90 डिग्री पर सीधा किया जाएगा। लैंडर चांद पर लैंडिंग करने के लिए उसी तरह बढ़ेगा, जैसे रॉकेट का साथ धरती से उड़ा था।
हर स्थिति में करेगा लैंड
इसरो चीफ एस सोमनाथ के अनुसार, चंद्रयान-3 को इस तरह बनाया गया है कि अगर सारे सेंसर फेल हो जाए, तब भी यह लैंडिंग करेगा। दोनों इंजन बंद होने पर भी लैंडिंग में सक्षम रहेगा।
यह हो सकती हैं मुश्किलें
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं। 30 किलोमीटर की ऊंचाई से सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी। इस दौरान लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती होगी।
इसरो के मुताबिक, लैंडिंग से पहले सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्रों का पता लगाने के लिए लैंडिंग साइट की इमेजिंग की जाएगी। लैंडर क्षैतिज स्थिति में चंद्रमा की ओर उतरेगा और इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग तथा कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु में एमओएक्स के वैज्ञानिक फाइन ब्रेकिंग के लिए कमांड तैनात करेंगे। लैंडर की स्थिति को ऊर्ध्वाधर में बदल दिया जाएगा और उस स्थिति में, यह चंद्रमा पर मंडराएगा, तस्वीरें लेगा, लैंडिंग क्षेत्र का सर्वेक्षण करेगा तथा सुरक्षित लैंडिंग स्थान पर नर्णिय लेगा।