लैंडिंग की जंग में अकेला नहीं है भारत, कैसे NASA और ESA ने भी थामा ISRO का हाथ…

चंद्रयान-3 चांद की सतह पर उतरने के लिए तैयार है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मौजूदा प्रमुख एस सोमनाथ और पूर्व प्रमुख के सिवन भी लैंडिंग के अंतिम चरण को बेहद जोखिम भरा बता चुके हैं।

खबर है कि चंद्रयान 3 को सुरक्षित रूप से चांद पर उतारने में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन NASA और ESA यानी यूरोपियन स्पेस एजेंसी भी ISRO की मदद कर रहे हैं।

खास बात है कि यह समर्थन 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद से ही भारतीय स्पेस एजेंसी को मिलता रहा है।

कैसे मदद कर रहे हैं NASA और ESA
कहा जा रहा है कि इन दोनों एजेंसियों के ग्राउंड स्टेशन्स की भूमिका चंद्रयान 3 की लैंडिंग के दौरान काफी अहम हो गई है।

ESA के ऑस्ट्रेलिया के न्यू नॉर्सिया स्थित 35 मीटर गहरा स्पेस एंटीना (ESTRACK नेटवर्क के तीसरे ग्राउंड स्टेशन) तैयार किया गया है।

इसका मकसद चंद्रयान 3 के चांद पर उतरने की प्रक्रिया के दौरान लैंडर मॉड्यूल को ट्रैक करना और उससे संपर्क साधना है।

वहीं, NASA के मामले में चंद्रयान के नीचे उतरने के दौरान इसका डीप स्पेस नेटवर्क कैनबेरा डीप स्पेस कम्युनिकेशन्स कॉम्प्लेक्स में डीप स्पेस स्टेशन (DSS) 36 और DSS-34 से टेलीमेट्री और ट्रेकिंग की जानकारी दे रहा है। इस काम में मेड्रिड डीप स्पेस कम्युनिकेशन्स कॉम्प्लेक्स का DSS-65 भी शामिल रहेगा।

द हिंदू से बातचीत में जेट प्रोपल्शन लैब के इंटरप्लेनिटरी नेटवर्क डायरेक्टोरेट कस्टमर इंटरफेस मैनेजर समी असमर बताते हैं, ‘हमें अंतरिक्ष यान से टेलीमेट्री मिली है, जिसमें हेल्थ और स्टेटस के साथ-साथ उपकरण माप का डेटा है।

इसे ISRO को भेज दिया जाता है। हम डॉप्लर इफेक्ट के लिए रेडियो सिग्नल पर भी नजर बनाए हुए हैं, जो अंतरिक्षयान को दिशा दिखाने में काफी अहम है।’

उन्होंने आगे बताया, ‘यह लैंडिंग प्रक्रिया के दौरान बेहद जरूरी जानकारी होगी और हमें बताती रहेगी की वहां क्या हालात हैं।’ उन्होंने जानकारी दी कि इस मिशन के लिए जरूरी मदद केलिफोर्निया के DSN कॉम्प्लेक्स से आ रही है, क्योंकि वह भारत से पृथ्वी की दूसरी ओर मौजूद है।

लॉन्चिंग से ही जारी है मदद
जर्मनी में ESOC इंजीनयर रमेश चेल्लाथुरई ने अखबार के साथ बातचीत में बताया, ‘चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के साथ ही ESA ESTRACK नेटवर्क में दो ग्राउंड स्टेशन्स का इस्तेमाल कर मिशन में मदद कर रहा है।’

उन्होंने बताया कि यह ऑर्बिट में सैटेलाइट को ट्रेक करता है, यान से टेलीमेट्री हासिल करता है और बेंगलुरु स्थित मिशन ऑपरेशन्स सेंटर में भेज देता है। इतना ही नहीं बेंगलुरु से मिली कमांड्स को सैटेलाइट तक भी भेजा जाता है।

खबर है कि फ्रेंच गुयाना स्थित कोरू में ESA के 15 मीटर और ब्रिटेन के गूनहिली अर्थ स्टेशन के 32 मीटर को सपोर्ट के लिए चुना गया था।

चेल्लाथुरई बताते हैं, ‘ये दो स्टेशन नियमित रूप से चंद्रयान 3 के साथ संपर्क कर रहे हैं और बेंगलुरु में मिशन ऑपरेशन्स टीम और चंद्रयान 3 सैटेलाइट के बीच कम्युनिकेशन चैनल उपलब्ध करा रहे हैं।’ 

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